रिपोर्ट : डी. के. भारद्वाज
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) ने कंपनियों की सामाजिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक जवाबदेही पर राष्ट्रीय स्वैच्छिक दिशा-निर्देश (एनवीजी), 2011 में संशोधन किए हैं और कंपनियों के उत्तरदायी कारोबार संचालन पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश (एनजीआरबीसी) तैयार किए हैं। इन दिशा-निर्देशों में कंपनियों से यह अनुरोध किया गया है कि वे संबंधित सिद्धांतों को अक्षरशः व्यवहार में लाएं।
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय कंपनियों का ‘उत्तरदायी कारोबार संचालन’ सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तरह की पहल करता रहा है। कारोबार में समुचित जवाबदेही की अवधारणा को मुख्य धारा में लाने की दिशा में पहले कदम के रूप में ‘कॉरपोरेट सामाजिक जवाबदेही पर स्वैच्छिक दिशा-निर्देश’ वर्ष 2009 में जारी किए गए थे। इसके पश्चात कारोबारी हस्तियों, शिक्षाविदों, सिविल सोसायटी संगठनों और सरकार के साथ व्यापक सलाह-मशविरा के बाद ‘कंपनियों की सामाजिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक जवाबदेही पर राष्ट्रीय स्वैच्छिक दिशा-निर्देश (एनवीजी), 2011’ के रूप में इन दिशा-निर्देशों में संशोधन किए गए। भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों एवं प्राथमिकताओं के साथ-साथ वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं अथवा तौर-तरीकों के आधार पर राष्ट्रीय स्वैच्छिक दिशा-निर्देश (एनवीजी) विकसित किए गए।
विगत दशक के दौरान ऐसे अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम हुए हैं, जिन्होंने कंपनियों को सतत रूप से और ज्यादा जवाबदेह बनने के लिए विवश किया है। इनमें कारोबार एवं मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांत (यूएनजीपी) सबसे प्रमुख हैं। इन घटनाक्रमों की बदौलत ही इन दिशा-निर्देशों में आगे और संशोधन करना संभव हो पाया है। इनमें कंपनी अधिनियम, 2013 के जरिए कंपनियों पर डाला गया विशेष दबाव भी शामिल है, ताकि वे अपने-अपने हितधारकों का और ज्यादा ख्याल रख सकें। इस अधिनियम के जरिए कंपनियों के निदेशकों को और ज्यादा उत्तरदायी बनाया गया (धारा 166), जिसके तहत इन निदेशकों के लिए कंपनी, उसके समस्त सदस्यों, कर्मचारियों, शेयरधारकों एवं समुदाय के हितों को ध्यान में रखने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के हित में भी कंपनी के उद्देश्यों को आगे बढ़ाना आवश्यक कर दिया गया।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वर्ष 2012 में अपने ‘सूचीबद्धता नियमनों’ के जरिए बाजार पूंजीकरण की दृष्टि से शीर्ष 100 सूचीबद्ध निकायों के लिए पर्यावरणीय, सामाजिक एवं गवर्नेंस संबंधी नजरिए से ‘कंपनी जवाबदेही रिपोर्ट (बीआरआर)’ पेश करना अनिवार्य कर दिया।
एनवीजी का अद्यतन करने और एनजीआरबीसी तैयार करने के उद्देश्य से कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने ‘कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग (बीआरआर)’ पर एक समिति गठित की है, ताकि सूचीबद्ध एवं गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बीआरआर प्रारूपों को विकसित किया जा सके। गैर-वित्तीय रिपोर्टिंग बड़ी तेजी से कंपनियों में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने और उनकी साख बढ़ाने का मुख्य आधार बनती जा रही है।
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय इसके साथ ही विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशविरा कर वर्ष 2020 तक ‘कारोबार एवं मानवाधिकारों पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी)’ भी विकसित करने में जुट गया है। भारत के एनएपी पर एक आरम्भिक चर्चा मसौदा (जीरो ड्राफ्ट) को भी जारी कर इसे मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है जिसमें यूएनजीपी के तीन स्तंभों या आधारों के कार्यान्वयन को दर्शाया गया है।