व्यापार एवं आर्थिक सहयोग पर भारत-यूक्रेन कार्य समूह का चौथा सत्र दिल्ली में आयोजित

रिपोर्ट : अनुज झा


 


 


 


व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग पर गठित भारत-यूक्रेन अंतर-सरकारी आयोग के अधीनस्थ व्यापार एवं आर्थिक सहयोग पर भारत-यूक्रेन कार्य समूह (आईयू-डब्ल्यूजीटीईसी) की चौथी बैठक दिल्ली में आयोजित की गई।


भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग में अपर सचिव, विदेश व्यापार बिद्युत बेहारी स्वेन ने की। ऊधर, यूक्रेन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूक्रेन के आर्थिक विकास एवं व्यापार मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं आर्थिक सहयोग व यूरोपीय एकीकरण निदेशालय के निदेशक ओलेक्सी रोझकोव ने किया।


बैठक की समाप्ति पर एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए। यह प्रोटोकॉल व्यापार की समीक्षा,  छोटी एवं मझोली उद्यमिता के क्षेत्र में सहयोग, तकनीकी नियमन (मानकीकरण, माप-पद्धति,  प्रमाणन, अनुरूपता आकलन) के क्षेत्र में सहयोग, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) एवं निवेश, कृषि, भारत के बाजार में यूक्रेन के खाद्य उत्पादों की पहुंच को सुविधाजनक बनाने, ऊर्जा क्षेत्र, वित्त, एंटी-डम्पिंग जांच की रूपरेखा के अंतर्गत यूक्रेन को बाजार अर्थव्यवस्था का दर्जा देने, बैंकिंग और पर्यटन क्षेत्र में सहयोग से संबंधित है।


दोनों ही पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि द्विपक्षीय व्यापार का स्तर वास्तविक क्षमता से काफी कम है, अतः व्यापार बास्केट के साथ-साथ द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश में भी वृद्धि करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। भारतीय पक्ष के लिहाज से व्यापार में घाटा आंका गया है। दोनों पक्षों ने इसमें और ज्यादा कमी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तौर-तरीके ढूंढने पर सहमति जताई।


भारत और यूक्रेन ने ऐसे संभावित क्षेत्रों या सेक्टरों की पहचान की है जिनमें दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिए आपस में सहयोग कर सकते हैं क्योंकि वर्तमान में दोनों पक्षों के बीच व्यापार का स्तर शेष विश्व के साथ हो रहे कुल व्यापार की तुलना में अत्यंत कम है। दोनों पक्षों ने उन उत्पादों की सूची साझा करने पर सहमति जताई जिनका व्यापार करने में उनकी रुचि होगी।


दोनों पक्षों को चिन्हित संभावित सेक्टरों में आयोजित किए जाने वाले प्रमुख मेलों / प्रदर्शनियों में भाग लेना चाहिए। दोनों पक्षों ने एक दूसरे से मेलों / प्रदर्शनियों का विवरण अग्रिम तौर पर साझा करने में सहमति जताई, ताकि इनमें भागीदारी सुनिश्चित हो सके।


दोनों पक्षों ने अपने यहां एकल खिड़की प्रकोष्ठ की पहचान करने से जुड़ी आधिकारिक सूचनाओं को साझा करने पर सहमति जताई, ताकि निर्यातकों के सवालों पर स्पष्टीकरण दिये जा सकें और उपयुक्त खरीदारों / विक्रेताओँ की पहचान करने में उन्हें सहयोग दिया जा सके।


भारतीय पक्ष ने बताया कि यूक्रेन द्वारा किए जा रहे चमड़े की वस्तुओं एवं फुटवियर के कुल आयात में भारत की बाजार हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम है और यूक्रेन में मुख्यतः आयात शुल्क ज्यादा रहने के कारण ही यह स्थिति देखने को मिल रही है। भारतीय पक्ष ने यूक्रेन पक्ष से फुटवियर के लिए चमड़े की वस्तुओं हेतु आयात शुल्क को घटाकर 5 प्रतिशत के एकसमान स्तर पर लाने पर विचार करने का अनुरोध किया।


भारतीय पक्ष ने यूक्रेन के पक्ष को यह जानकारी दी कि भारत तम्बाकू एवं इससे संबंधित उत्पादों का एक बड़ा उत्पादक है। भारतीय पक्ष ने यूक्रेन के पक्ष से तम्बाकू एवं इससे संबंधित उत्पादों का आयात करने पर विचार करने का आग्रह किया क्योंकि यूक्रेन में तम्बाकू एवं इससे संबंधित उत्पादों का आयात 60,000 से लेकर 79,000 एमटी की रेंज में ही होता है।


यूक्रेन में रत्न एवं जेवरात उत्पादों पर देय शुल्क काफी ज्यादा है जिसमें 20 प्रतिशत वैट भी शामिल है। स्वर्ण आभूषणों और कटे एवं पॉलिश किए हुए हीरों पर कुल शुल्क लगभग 30 प्रतिशत है। भारतीय पक्ष ने यूक्रेन के पक्ष से स्वर्ण आभूषणों और कटे एवं पॉलिश किए हुए हीरों पर देय शुल्क को कम करने का अनुरोध किया।


भारतीय पक्ष ने बताया कि यूक्रेन चाय के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। भारतीय पक्ष ने यूक्रेन के पक्ष से पैक की हुई चाय पर 10 प्रतिशत सीआईएफ मूल्य की ड्यूटी हटाने का अनुरोध किया। इसके अलावा भारतीय पक्ष ने यूक्रेन की राष्‍ट्रीय मानक संस्‍था के तौर पर यूकेआरएनडीएनसी की रूपरेखा तैयार करने के लिए यूक्रेन के मंत्रिमंडल के 26 नवम्‍बर, 2014  के निर्णय के बाद यूक्रेन में राष्‍ट्रीय मानकीकरण कार्य में आर्थिक विकास एवं व्‍यापार मंत्रालय की मौजूदा भूमिका के बारे में यूक्रेन पक्ष से जानकारी प्रदान करने का अनुरोध किया है।


यूक्रेन पक्ष ने पिछले एक दशक में भारत में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) व्‍यवस्‍था के तेजी से विकास का संज्ञान लिया है और पीपीपी के बारे में अनुभवों, विशेष रूप से पीपीपी विधान, पीपीपी परियोजनाओं को लागू करने के अनुभव और पीपीपी व्‍यवस्‍था के विकास की भावी योजनाओं के बारे में अनुभव साझा करने में दिलचस्‍पी व्यक्त की है।


दोनों देशों के बीच में द्विपक्षीय निवेश संबंधों की व्‍यापक संभावनाएं हैं। रेलवे, विमान, फार्मास्‍युटिकल्‍स, धातु विज्ञान और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में त्‍वरित सहयोग के लिए काफी कुछ किया जा सकता है। भारत सरकार ने एफडीआई के बारे में निवेशकों के अनुकूल नीति प्रस्‍तुत की है, जिसके अंतर्गत अधिकतर क्षेत्रों और गतिविधियों में स्‍वचालित रूट से 100 प्रतिशत तक की एफडीआई की अनुमति है। हाल के दौर में एफडीआई नीति व्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण बदलाव किये गये हैं, ताकि भारत निवेश की दृष्टि से आकर्षक और निवेशकों के अनुकूल बना रहे। व्‍यापक अवसरों और मेक इन इंडिया, कारोबार की सुगमता, स्‍टार्टअप इंडिया और उदार एफडीआई व्‍यवस्‍था जैसी हाल की पहलों के मद्देनजर भारत में यूक्रेन की ओर से एफडीआई के लिए पर्याप्‍त संभावनाएं मौजूद हैं। भारतीय उद्योग उपयोग में न लाई गई संभावनाओं का पता लगाने और आर्थिक साझेदारी का विस्‍तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। 


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