एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और भारत सरकार ने तमिलनाडु के 5 शहरों में जलापूर्ति एवं सीवरेज से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को विकसित करने और बेहतर ढंग से सेवाएं मुहैया कराने हेतु शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) की क्षमता मजबूत करने के लिए 2 दिसंबर, 2019 को 206 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
यह सितंबर, 2018 में मंजूर तमिलनाडु के प्रमुख शहरी निवेश कार्यक्रम के लिए एडीबी से सहायता प्राप्त 500 मिलियन डॉलर के बहु-किस्त वित्त पोषण के लिए दूसरा परियोजना ऋण है। इस कार्यक्रम के तहत तमिलनाडु के 10 शहरों में जलवायु की दृष्टि से सुदृढ़ जलापूर्ति, सीवरेज और जल निकासी से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। 169 मिलियन डॉलर के वित्त पोषण वाले कार्यक्रम के तहत पहली परियोजना फिलहाल कार्यान्वित की जा रही है।
इस समझौते पर भारत के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में अपर सचिव (फंड बैंक एवं एडीबी) और एडीबी के भारत निवासी मिशन के कंट्री डायरेक्टर श्री केनिची योकोयामा ने हस्ताक्षर किए।
खरे ने इस ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद बताया, 'परियोजना का उद्देश्य जलापूर्ति एवं स्वच्छता तक सभी लोगों की पहुंच सुनिश्चित कर तमिलनाडु के चिन्हित शहरों में रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार लाना और सीवेज शोधन एवं जल निकासी प्रणालियों को बेहतर बनाना है। परियोजना के तहत विभिन्न पहलों से आर्थिक विकास के लिए आवश्यक परिवेश को विकसित करने में भी राज्य को मदद मिलने की आशा है।'
योकोयामा ने कहा, 'परियोजना के तहत उठाए जाने वाले महत्वपूर्ण कदमों से संबंधित निवासियों एवं कामगारों के अलावा राज्य के आर्थिक कॉरिडोर में स्थित उद्योग भी लाभान्वित होंगे, जिससे औद्योगिक दृष्टि से प्रतिस्पर्धी क्षमता हासिल होगी और अच्छे रोजगारों का सृजन होगा। यह शहरी सुधार एजेंडे जैसे कि गुणवत्तापूर्ण मानकों के अनुरूप निजी ऑपरेटरों के जरिए बेहतर ढंग से सेवा मुहैया कराने में भी मददगार साबित होगी।'
यह परियोजना सीवेज संग्रह एवं शोधन तथा जल निकासी से जुड़ी प्रणालियों को विकसित करने के लिए चार शहरों यथा अम्बुर, तिरुचिरापल्ली, तिरुपुर और वेल्लोर को लक्षित करेगी। इसके तहत सीवेज शोधन संयंत्रों एवं पम्पिंग स्टेशनों की स्थापना की जाएगी और परियोजना क्षेत्र में आने वाले सभी घरों को सीवरेज नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिनमें गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों के घर भी शामिल होंगे।
एडीबी अत्यंत गरीबी के उन्मूलन के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने के साथ-साथ एक समृद्ध, समावेशी, सुदृढ़ और सतत एशिया-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। एडीबी ने वर्ष 2018 में 21.6 अरब डॉलर के नये ऋणों और अनुदान के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। वर्ष 1966 में स्थापित एडीबी में कुल मिलाकर 68 सदस्य हैं, जिनमें से 49 सदस्य इसी क्षेत्र के हैं।