दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में गुरुवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

 



 


दिल्ली सरकार बनाम केन्द्र सरकार के बीच चली आ रही लड़ाई में गुरुवार का दिन महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। दिल्ली सरकार की और से पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया गया था। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा। अक्‍सर दिल्‍ली सरकार और केंद्र के बीच अधिकारियों की नियुक्ति और भ्रष्टाचार निरोधक शाखा पर नियंत्रण को लेकर तनातनी की खबरें मिलती रहती हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी सूची के अनुसार, गुरुवार सुबह 10 बजे इस मामले में फैसला आ सकता है। 
सुप्रीम कोर्ट ने एलजी के अधिकार को सीमित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एलजी स्वतंत्र तौर पर काम नहीं करेंगे अगर कोई अपवाद है तो वह मामले को राष्ट्रपति को रेफर कर सकते हैं और जो फैसला राष्ट्रपति लेंगे, उस पर अमल करेंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से मामले को उठाया गया और कहा गया कि सर्विसेज और एंटी करप्शन ब्रांच जैसे मामले में गतिरोध कायम है। दिल्ली सरकार के वकील ने 10 जुलाई 2018 को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कई मुद्दों पर गतिरोध कायम है। ऐसे में इस मुद्दे पर सुनवाई की जरूरत है।


गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने 21 मई 2015 को नोटिफिकेशन जारी किया था। नोटिफिकेशन के तहत एलजी के जूरिडिक्शन के तहत सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड से संबंधित मामले को रखा गया था। इसमें ब्यूरोक्रेट्स के सर्विस से संबंधित मामले भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने 23 जुलाई 2014 को नोटिफिकेशन के तहत दिल्ली सरकार की एग्जिक्यूटिव पावर को सीमित किया था। साथ ही दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्रांच का अधिकार क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधिकारियों तक सीमित किया था। इस जांच के दायरे से केंद्र सरकार के अधिकारियों को बाहर कर दिया गया था। हाई कोर्ट में दिल्ली सरकार ने उक्त नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।
एलजी की ओर से दलील दी गई थी कि एलजी को केंद्र ने अधिकार प्रदान कर रखे हैं। सिविल सर्विसेज का मामला एलजी के हाथ में है क्योंकि ये अधिकार राष्ट्रपति ने एलजी को दिया है। चीफ सेक्रटरी की नियुक्ति आदि का मामला एलजी ही तय करेंगे। दिल्ली के एलजी की पावर अन्य राज्यों के राज्यपाल के अधिकार से अलग है। संविधान के तहत गवर्नर को विशेषाधिकार मिला हुआ है।