ऐसे भारतीय क्रिकेटर जो कूद चुके हैं राजनीति में

 


 



 


भारतीय क्रिकेटरों का राजनीति में पड़ना अब आम बात सी हो गई है। आए दिन कई क्रिकेटर्स राजनीतिक व देश के बड़े मुद्दों पर जिक्र करते दिखाई देते हैं। वहीं पूर्व ओपनर गौतम गंभीर भी राजनीति के अखाड़े में कूद चुके हैं। वह हमेशा देश से जुड़े कई मसलों पर अपनी राय भी देते रहते थे। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया। हालांकि, गंभीर का राजनीति में पड़ना क्रिकेट फैंस के लिए हैरानीभरा फैसला नहीं है। गंभीर से पहले भी 6 ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं जो राजनीति में पड़े। पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन अच्छे खिलाड़ी होने के साथ-साथ एक अच्छे नेता भी थे। 19 फरवरी, 2009 को उन्होंने कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। 2009 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से चुनाव में भाग लिया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कुंवर सर्वेश कुमार सांग को हराया और जीत हासिल की। उन्हें उस चुनाव से 50000 से अधिक वोट मिले। हालांकि 2014 आम चुनावों में श्मोदी लहरश् के बीच वह भी अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे।
क्रिकेट छोड़ने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने भी राजनीति में हाथ आजमाया। उन्हें इसमें सफलता भी मिली। सिद्धू अमृतसर की लोकसभा सीट से जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सिद्धू ने 2004 में राजनीति में कदम रखा और बीजेपी की टिकट पर लोकसभा चुनाव भी जीता। इसके बाद 2007 में हुए उप-चुनाव में उन्होंने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के पंजाब राज्य के पूर्व वित्त मन्त्री सुरिन्दर सिंगला को भारी अन्तर से हराकर अमृतसर की यह सीट पुनः हथिया ली। 2009 के आम चुनाव में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को 6858 वोटों से हराकर अमृतसर की सीट पर तीसरी बार विजय हासिल की। पंजाब में बीते विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सिद्धू ने बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
1983 की वल्र्ड कप विजेता टीम के सदस्य रहे कीर्ति आजाद 1999, 2009 और 2014 में दरभंगा के सांसद चुने गए हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1993 में दिल्ली के गोल मार्केट इलाके में विधानसभा चुनाव के जरिए की थी। इन्हें सफलता प्राप्त हुई, लेकिन 2015 में दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ आरोप लगाने के लिए बीजेपी से उन्हें निलंबित कर दिया गया था। फिलहाल ये अभी कांग्रेस की पार्टी में शामिल हैं।
आईपीएल 2013 के दौरान तेज गेंदबाज एस श्रीसंथ पर आजीबन प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद जब उन्हें लगा कि क्रिकेट खेलने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं तो उन्होंने राजनीति की ओर कदम बढ़ा लिए। हालांकि इसमें उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई। केरल विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने 2016 में बीजेपी का दामन थाम लिया। चुनाव भी लड़ा, लेकिन अपनी आक्रामकता और तेज गेंदबाजी के लिए मशहूर रहे इस खिलाड़ी को कामयाबी नहीं मिली।
लॉर्ड्स में खेले गए नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल के हीरो रहे मोहम्मद कैफ 2014 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया। यहां उनका मुकाबला वर्तमान में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से था। अपनी बल्लेबाजी से बड़े-बड़े गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने वाले कैफ राजनीति की अपनी पहली पारी में क्लीन बोल्ड हो गए थे। चुनाव में मौर्य को जहां पांच लाख से अधिक वोट मिले थे, वहीं कैफ करीब 58 हजार वोट पाकर चैथे स्थान पर रहे थे। हार के बाद कैफ ने राजनीति से दूरी बना ली।
17 टेस्ट, 104 वनडे खेलने वाले विनोज कांबली ने 2009 में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने लोक भारत पार्टी से टिकट लेकर विक्रोली (मुंबई), महाराष्ट्र से चुनाव लड़ा। सचिन के बचपन के दोस्त को शायद पता नहीं था कि राजनीति इतनी आसान नहीं है, जितनी की वह सोचते हैं। नतीजतन, उन्हें हार का सामना करना पड़ा। आजकल वह क्रिकेट एक्सपर्ट की भूमिका में नजर आते हैं।