बदहाल दशा में है सीमा का कस्टम विभाग, स्टाफ वाहनों की कमी से सीमा पर बढ़ी तस्करी

रिपोर्ट : सुनहरा


 


 


 


भारत-नेपाल पर स्थापित सीमा शुल्क विभाग की अति महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन भारत सरकार और विभाग के आला अफसरों की उदासीनता के कारण यह बदहाल दशा में पहुंच गया है। कई वर्षों से विभाग के पास वाहन नहीँ है। और पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है। इसके कारण सीमा पर कर्मचारियों को तमाम दिक्कतें होती हैं और स्टाफ न होने से सीमा पर तस्करी भी लगातार बढ़रही है। कस्टम की कमजोर स्थिति का फायदा उठाकर देश विरोधी तत्वों के साथ ही तस्करों की सक्रियता में भी खास इजाफा हुआ है।


बीते कुछ एक साल पहले सीमा शुल्क विभाग भारत सरकार की वरिष्ठ कस्टम एजेंसी होती थी जिसका तस्करो पर अंकुश रहता था। गौरीफन्टा, चन्दन चैकी, खजुरिया सम्पूणानगर ओर दिल्ली जाने वाली बसें कस्टम द्वारा चेक की जाती थी। जिसमें तस्करी का माल की भी छानबीन की जाती थी। इससे सिमा पर स्क्रिय समाजिक तत्त्वों में भी भय बना रहता था।


सूत्रों ने बताया कि कस्टम के पास स्टाफ का अभाव है और वाहनों का भी खासी कमी बनी हुईं है। अब सीमा पर कस्टम का काम एसएसबी कर रही है। जो कि गौरीफन्टा बार्डर की सुरक्षा करती है और तस्करो पर अंकुश रखती है। एसएसबी के जवान अब तस्करी का माल पकड़ कर उसे तस्करो समेत कस्टम विभाग को सौंप देते है।


एसएसबी के जवान समेंत कई अधिकारियों ने नाम न छापने कि शर्त पर बताया कि सीमा पर कस्टम विभाग के मजबूत न होने से तमाम परेशनियां उठानी पड़ रही हैं। और तस्करी पर अंकुश लगाने में दिक्कते होती हैं। भारत सरकार अब सीमा की महत्वपूर्ण संस्था कस्टम की तरफ ध्यान देकर महत्त्वपूर्ण एजेंसी कस्टम में जो कमियां है। उनको दूर करे। तभी सीमा की मजबूती से निगरानी के साथ तस्करी पर अंकुश लग सकता है। अन्यथा की स्थिति में हालात और खराब ही होगें, जिसका फायदा उठाकर देश विरोधी तत्व भी सक्रिय हो सकते हैं। इससे कतई इनकार नहीं किया सकता हैं।