भीख मांगते बच्चों का भविष्य बनाने को शुरू की 17 हजार किमी की पदयात्रा

24 मार्च को दिल्ली के गांव कराला स्टेडियम में संपन्न होगी पदयात्रा


रिपोर्ट : अजीत कुमार


 


 


 


युवा इंजीनियर आशीष शर्मा ने बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए एक अनोखे अभियान की शुरुआत की है। डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के एक विज़न को लेके दिल्ली के समयपुर यादव नगर निवासी सुरेश शर्मा के बेटे आशीष का उद्देश्य देश से बाल भिक्षावृत्ति को खत्म करना है ताकि 2020 तक देश का हर बच्चा स्कूल जा सके।


सड़कों पर भीख मांगते बच्चों को लगभग हम रोज ही देखते हैं। कई लोग उन्हें कुछ पैसे देते हैं तो कुछ लोग ऐसा न करने की नसीहत देकर चलते बनते हैं। वहीं, कुछ लोग उनकी इस हालत के लिए सरकार को कोसते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि लगभग हर प्रदेश में भिक्षावत्ति को रोकने के लिए सरकारी सतर पर विभाग भी हैं और योजनाएं भी। इतना ही नहीं जयादातर शहरों में भिक्षुक गृह भी बने हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर खाली ही हैं। ऐसे में दिल्ली के युवा इंजीनियर आशीष शर्मा ने बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए एक अनोखे अभियान की शुरुआत की है। आशीष पूरे देश में 17 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर इसे रोकने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे है, और पूरे देश के 29 राज्यों और 7 केंद्रीय शासित राज्यों के 267 शहरो, सैकड़ो गाँवो से होते हुए 579 दिनों में यह यात्रा दिल्ली में पूरी करने जा रहे है।


2014-2016 मे आशीष ने 9 ऐसे बच्चो को स्कूल में दाखिला दिलाया था, जो भीख मांगते थे और नशा इत्यादि गतिविधियों में लिप्त थे। लेकिन हर बच्चे को पकड़ कर ऐसे स्कूल मे नही भेजा जा सकता था तो आशीष ने यह मुद्दा ख्म करने की सोची। अपनी आठ महीने की रिसर्च में आशीष को बहुत कुछ मिला और छोटे छोटे गिरोह से लेकर बड़े गिरोह एक चैन के माध्यम से ऐसे घिनोने काम को करते है। एक सीरीज है बच्चो का अवैद्य व्यापार, बाल भिक्षावृति , कूड़ा बीनना, ड्रग, बाल श्रम, बाल वेश्यावृत्ति और बाल अपराध का। 68 % अपराध यही बच्चे करते है और यही कारण है पुलिस की ड्यूटी मुश्किल होती जा रही है। युवा पीढ़ी को जोड़ना और एक मानसिक क्रांति की शुरुआत करना लक्ष्य था क्योंकि यदि लिखने से बदलाव आता तो 21वी सदी की पीढ़ी नशा, धूम्रपान आदि नही करती।


आशीष के मुताबिक, मैं कक्षा छह से ही वृद्धाश्रम जा रहा हूँ। जल्द ही मुझे अहसास हो गया कि इस समस्या का जड़ बच्चों में ही है। अगर बच्चे ही खुश नहीं होंगे तो बुजुर्ग कैसे सुखी रह सकेंगे। सड़कों पर हजारों बच्चे भीख मांगते दिख जाते हैं, लेकिन कोई उनके लिए कुछ नहीं करता है। मैं उनके लिए कुछ करना चाहता था, लेकिन मुझे पता था कि व्यक्तिगत रूप से 50 से 100 बच्चों से मिल सकता था। इसलिए मैंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी युवा पीढ़ी को जोड़ने की शुरुआत की।


बात यह नही हम क्या अच्छा कर रहे है समाज मे, अब बात यह हो हम कितनी बुराई खत्म कर रहे है। 'लोगों की भावनाओं को जगाना है ही उदेशय रहा जिससे मुद्दा खत्म होऔर देश भर से जो स्नेह मिला आशीष को, आज देश भर में फुट सोल्जर के नाम से जाने जा रहे है।