द्वारका कोर्ट द्वारा डाबरी-पालम रोड से दुकाने हटा के लोगों को जाम से राहत दिलाने का आदेश

रिपोर्ट : अनुज झा


 


 


 


द्वारका कोर्ट के न्यायाधीश कमलजीत अरोड़ा ने डाबड़ी- पालम रोड के बीचों बीच बनी तीन दुकानों को हटाकर सड़क को चौड़ा करने का आदेश देते हुए डीडीए को इन दुकान के मालिकों को मुआवजा देने का आदेश दिया। ज्ञातव्य है कि डाबड़ी-पालम रोड पर इन तीन दुकानों की वजह से हर रोज ट्रैफिक जाम लगता है। प्रदूषण, समय की बर्बादी के साथ-साथ लोग रॉन्ग साइड से होकर जब जाते हैं तब अक्सर कई दुर्घटनाएं होती हैं और कई लोग इसमें घायल हो जाते हैं। सन 2016 में द्वारका की एक कोर्ट ने इन दुकानदारों के मालिकाना हक को मानते हुए कोर्ट ने इन दुकानों पर स्टे दिया हुआ था। डीडीए ने सन 2017 में कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। वह पहले के आदेश को निरस्त करने की अनुमति मांगी थी। माननीय न्यायाधीश ने कई बार सुनवाई के दौरान डीडीए व दुकानदारों को यह सलाह दी थी कि आप इस मामले में आपसी सहमति से इस समस्या का कोई हल खोजें।


इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पहल करते हुए 5 दिसंबर 2017 को राजभवन में एक मीटिंग करके इस समस्या का हल निकालने का आदेश डीडीए के वाइस चेयरमैन को दिया था। हाल ही में 1 मार्च को दिल्ली के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने डीडीए के वाइस चेयरमैन तरुण कपूर के साथ एक मीटिंग की थी जिसमें प्रधान आयुक्त मैनेजमेंट व डीडीए के चीफ ऑफिसर के अलावा जनकपुरी के पूर्व निगम पार्षद संजय पुरी भी मौजूद थे। मीटिंग में डीडीए ने इन दुकानों को तोड़ने की एवज में दुकानदारों को मुआवजा देने की बात सिद्धांता स्वीकार की। इसके बाद डीडीए के वकील अमित मनोचा ने एक अर्जी कोर्ट में दाखिल कर के इसकी सूचना कोर्ट को दी और यह बताया कि दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने सर्वे करने के बाद सर्किल रेट के हिसाब से जो मुआवजे की राशि तय की है डीडीए इस राशि को देने को तैयार है। गुरुवार को न्यायाधीश कमलजीत अरोड़ा ने अपना फैसला सुनाते हुए डीडीए को अपनी अपील वापस लेने के साथ साउथवेस्ट जिले के डीएम द्वारा श्रेणी 'जी' के सर्किल रेट रू46,200प्रति गज के हिसाब से 3 दुकानों का कुल क्षेत्र 125 मीटर का और इस हिसाब से रू60,88,508 का मुआवजा एक माह के अंदर 30 अप्रैल से पहले कोर्ट में जमा कराने के आदेश के साथ दुकानदारों को 28 मार्च से पहले दुकानों का कब्जा डीडीए को देने का आदेश दिया। 


डीडीए तय की गई समय सीमा के अंदर मुआवजा राशि कोर्ट में जमा नहीं कर पाएगी तो देरी के समय का 18% प्रतिवर्ष के हिसाब से डीडीए को जुर्माना देना होगा। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में यह साफ किया कि दुकानदारों को 28 मार्च तक या उससे पहले शांतिपूर्वक डीडीए को कब्जा देना होगा और कब्जे की प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार की बाधा नहीं डाली जाएगी। फैसला सुनाते हुए माननीय न्यायाधीश ने सामाजिक कार्यकर्ता संजय पुरी के नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि कोर्ट की सुनवाई के दौरान वह अपने वकील राजेश कौशिक व कुलदीप सिंह के साथ कोर्ट की कार्रवाई में नियमित रूप से भाग ले रहे हैं और इस समस्या का डीडीए से हल निकलवाने में इन्होंने सकारात्मक भूमिका निभाई है।