कौन बनेगा प्रधानमंत्री

रिपोर्ट : विमल कुमार



 


कौन बनेगा प्रधानमंत्री क्या देश की जनता किसी और पर दाव लगाएगी या फिर से सारे मुद्दों को दरकिनार कर दोबारा से माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी को प्रधानमंत्री बनागी। 2014 मई को वो जिसमे भारत की जनता ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 10 साल की उपलब्धि को ठुकरा कर गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में काफी उपलब्धि पा चुके नरेन्दर मोदी को देश की जनता ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में मे चुना क्योकि मुद्दे ही कुछ ऐसे थे। देश मे बढ़ रहे भ्रष्टाचार, आतंकवाद, बेरोजगारी और भी बहुत कुछ मुद्दे थे। जिसमे सबसे बड़ा मुद्दा था अयोध्या मे राममंदिर बनाने का जिसकी वजह से भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली।
समय बीता काफी देशो मे यात्राएं भी की इंटरनेशनल रिश्ते भी मजबूत हुए काफी सारी योजनाएं भी आई जिसमे कुछ प्रमुख जीएसटी, नोटबंदी, डिजिटल इंडिया, प्रधानमंत्री जनधन योजना, उज्ज्वल योजना सरीखे शामिल है। लेकिन जो प्रमुख मुद्दे थे राम मंदिर, बेरोजगारी, आतंकवाद बढ़ते अपराध, महिलाओं के प्रति बलात्कार के मामले जिसमे उन्नाव केस से तो देश की सारी जानता वाकिफ है।
एक योजना जो काफी चर्चा मे थी मेक इन इंडिया जिससे लोगो को काफी उम्मीदें थी जिससे लगा कि हम चीन को टक्कर दे देंगे लेकिन वो भी धरी की धरी रह गई। मैं उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से आता हूँ तो लगे हाथ उसकी भी बात कर लेता हूँ। किसी समय उत्तर भारत का मेनचेस्टर कहा जाने वाला कानपुर आज अपनी दुर्दशा पर रो रहा है, क्योंकि चुनावी समय मे तो उससे भी बहुत वादे किए जाते है पर चुनाव जाते ही जैसे उसपर ग्रहण लग जाता है।
खैर छोड़ो इन सब बातो को मुद्दे पे आते है। 10 मार्च 2019 चुनावी तारीख का ऐलान के बाद देश की जनता फिर उसी पुरानी उम्मीद मे देश मे किसी चेहरे को तलाश करेगी, और सोचेगी कि वह आयेगा और मेरी समस्याओं का समाधान होगा। देश तरक्की करेगा, हमे रोजगार मिलेगा, हमारा देश विश्वगुरु बनेगा पर उसकी सारी उम्मीदें धरी की धरी रह जाएंगी। हालाकि प्रधानमंत्री मोदी की काफी कोशिश रही देश को आंगे बढ़ाने में पर वो सारी कोशिशें विफल रही। ना ही राममंदिर बना, न ही धारा 370 हटी ना, ही नीरव मोदी आया और ना ही विजय माल्या जबकि मोदी जी ऐसा सब कुछ कर सकते थे। हमको पाकिस्तान का डर दिखा कर बोट मांगा जा रहा है जो हमारे पैरो के धूल के बराबर भी नहीं है। कभी अमेरिका, रूस, जापान का भी जिक्र कर लिया जाता कि वो कहाँ से कहाँ पहुँच गए। उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की क्या नीति है, खास तौर पर विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के मामले में। विपक्ष में रहते हुए मोदी जी ने तब की सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे, उनमें किसी को सजा क्यों नहीं हुई? प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है? पाकिस्तान से निपटने की सरकार की क्या नीति है? मोदी सरकार ने देश के युवाओं के लिए अब तक क्या किया है? सरकार विदेशों से काला धन लाने में क्यों नाकाम रही? इस दिशा में उसने अब तक क्या काम किया?


 



 



प्रधानमंत्री ने अपने पाॅच वर्षों के दौरान विश्व के कई देशों का दौरा कर भारत के मजबूत व्यापारिक और सामरिक संबंध स्थापित किए। उन्होंने इन पाॅच वर्षों में जहां जहां भी दौरे किए, वहां अपनी एक अलग छाप छोड़ी। एक तरफ पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए प्रोटोकॉल तोड़कर वे वहां के प्रधानमंत्री से मिलने पाकिस्तान गए तो दूसरी तरफ सर्जिकल स्ट्राइक इसके बाद एयर स्ट्राइक करके यह संदेश भी दिया कि विनम्रता का अर्थ कमजोरी नहीं। भारत ने वैश्विक स्तर पर सार्क (दक्षिण एशिया उपग्रह) उपग्रह लांच कर एक अलग पहचान बनाई है, जिसका पाकिस्तान को छोड़कर सभी सार्क देशों ने स्वागत किया है। केंद्र सरकार ने अपने पाॅच साल के कार्यकाल में सैनिकों की लंबे समय से लंबित वन रैंक, वन पेंशन की मांग को भी पूरा किया है। इसके अलावा करोड़ों गरीबों को जन-धन योजना के जरिए बैंकों से जोड़ा है।
कोयला, 2जी स्पेक्ट्रम में पूर्ण पारदर्शिता लेकर आई। इसके अलावा केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए 2022 तक भारत के प्रत्येक नागरिक को एक छत देने का संकल्प लिया है, लेकिन उनकी सरकार 2022 तक रहेगी या नहीं यह तो जनता ही तय करेगी। मोदी सरकार ने नौकरियों में रिश्वतखोरी को रोकने के लिए ग्रेड 3 और 4 की नौकरियों में इंटरव्यू को पूर्णतरू खत्म कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इन पाॅच सालों में 1 करोड़ से ज्यादा अमीर लोगों को गैस सब्सिडी छोड़ने की लिए प्रेरित किया, इससे मोदी सरकार पर भार काफी कम हुआ। इसके साथ ही मोदी सरकार ने पूरे देश में वीआईपी कल्चर को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया। अब सिर्फ एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस जैसी इमरजेंसी सेवाओं में लगी गाड़ियां ही नीली बत्ती का इस्तेमाल कर सकेंगी। लेकिन इस कल्चर को तोडने में कई भाजपा नेताओं के नाम सामने आए।
स्वच्छ भारत के लिए भी प्रधानमंत्री ने खुद रुचि दिखाई, और स्वच्छ भारत अभियान को एक जन-आंदोलन बना दिया। अंतरिक्ष क्षेत्र की बात की जाए तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन दिन-ब-दिन आगे बढ़ रहा है। जून 2016 तक इसरो लगभग 20 देशों के 57 उपग्रहों का प्रक्षेपण कर चुका है और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो दुनिया में अमेरिका और रूस की अंतरिक्ष एजेंसियों से भी कम लागत में उपग्रहों को लांच करने वाला संगठन बन चुकी है। यह भारत देश के लिए गौरवान्वित करने वाली बात है।
लेकिन सवाल उठता है कि कौन बनेगा प्रधानमंत्री क्या जितनी प्रधानमंत्री मोदी जी इंटरनेशनल धाक बन पाई है। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जो इंटरनेशनल छवि भारत की बनी है, जो लोकप्रियता मोदी जी की देश मे है उसे कोई टक्कर दे पाएगा ? ये देखना काफी दिलचस्प होगा ये तो तो आने वाले समय मे ही पता चल पाएगा।