क्या है अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के असली मायने

रिपोर्ट : अजीत कुमार


 


 


 


वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें


 


8 मार्च यानि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस। यह विशेष दिन अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं का सम्मान करने और उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाने का दिन है। इसके अलावा यह दिन इस बात का भी प्रतीक है, कि आज की महिलाएं किसी से कम नहीं हैं।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को पूरे विश्व में मनाया जाता है। कोई भी पर्व या तिथि विशेष मनाने के पीछे कोई न कोई ऐसा जरुर कारण होता है जिससे हमारा समाज प्रभावित होता है। हमारे समाज में महिलाओ की भागीदारी, विशेष योगदान, महिलाओ के प्रति सम्मान और महिलाओ के प्रति समाज निर्माण में योगदान को देखते हुए हर वर्ष पूरे विश्व में 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह विशेष दिन अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं का सम्मान करने और उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाने का दिन है।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाये जाने का उद्देश्य जातीपाती, राजनीती, समाज में फैले कुरुतियी और उचनीच की भावना और समाज में महिलाओ को बराबरी का दर्जा दिलाना और समान अधिकारों की रक्षा करना है और आज के इस 21वी सदी के दौर में महिलाओ ने पुरुषो के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर समाज के हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी निभा रही है और समाज में हर तबके की महिलाओ के अधिकारों की रक्षा हो इसी अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिवर्ष सयुक्त राष्ट्र संघ के नेतृत्व में हर साल 8 मार्च को पूरे विश्व में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

महिला को अनेको नाम से पुकारा जाता है। कभी यही महिला नारी कहलाती है तो कभी स्त्री तो कभी औरत भले ही इन महिलाओ का चाहे किसी भी नाम या रूप में देखा जाय लेकिन हमारे समाज में बिना महिलाओ के सहयोग के बिना सम्पूर्ण विकास की कल्पना नही की जा सकती है। चाहे इन्सान के परवरिश की बात हो या लालन पालन की हो वंशवृद्धि की हो या एक अच्छे समाज निर्माण की बात हो या कला संस्कृति और धर्म की हर जगह महिलाओ के सहयोग के बिना हमारे समाज की कल्पना भी नही की जा सकती है। फिर भी समाज के अनेको हिस्सों में आज भी कई बार इन महिलाओ को उपेक्षित होना पड़ता है।

आज नारी अपने साहस के बल पर पूरे आत्मविश्वास के साथ हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहरा रही है। बात जब नारी सशक्तिकरण की आती है, तो कई नाम जहन में आते हैं मसलन डाॅ. किरन बेदी हो जिन्हे प्रथम वरिष्ठ महिला आईपीएस कहा जाता है, या फिर मैरीकाॅम हो जो मुक्केबाजी में अपना परचम लहरा चुकी है या फिर बात सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल या अन्य किसी की हो हर किसी ने समाज में अपना लोहा मनवाया है। इनता ही नहीं आज अपर्णा सेन, फराह खान, सरोज खान, नेहा पार्ती जैसी कई महिलाएं सीने जगत में कुछ अलग हट के काम कर रही हैं। भारत की रीढ कही जाने वाली अर्थव्यवस्था, खेती किसानी में भी रामरती जैसी महिलाएं महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं। महिलाओं की जागृति और आत्म विश्वास से निश्चित रूप से गाँवों की तस्वीर और तकदीर दोनो ही बदल जायेगी। नई सदी की नारी के पास कामयाबी के उच्चतम शिखर को छूने की अपार क्षमता है। उसके पास अनगिनत अवसर भी हैं। जिंदगी जीने का जज्बा उसमें पैदा हो चुका है। दृढ़ इच्छाशक्ति एवं शिक्षा ने नारी मन को उच्च आकांक्षाएँ, सपनों के सप्तरंग एवं अंतर्मन की परतों को खोलने की नई राह दी है।

इन सबके इतर आज यह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस उस समय केवल एक शब्द लगते हैं, जब देश के अलग अलग हिस्सों से महिलाओं के खिलाफ बढते अपराध सामने आते हैं। देशभर में महिलाओं के खिलाफ बढती अपराध की वारदतों से यह विशेष दिन मानों सिर्फ एक दिन ही लगता है, जिसका कोई मतलब ना हो। हालांकि आज के दिन शायद हमें इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए जब देशभर में महिलाओं के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है। किंतु दूसरी ओर सोचने वाली बात यह भी है, कि क्या वास्तव में हम सच्चे दिल से महिलाओं का सम्मान करते हैं, अगर करते हैं तो महिलाओं के खिलाफ बढते अपराध रूकने चाहिए।

आने वाले साल में भी इस दिन को हर देश मनाएगा, परंतु इसका उद्देश्य तब ही पूरा होगा, जब महिलाओं के खिलाफ होने वाले शोषण कम होंगे, जब महिलाओं के खिलाफ होने वाले आपराधिक मामले शून्य होंगे, जब महिला पुरुष को समान दर्जा मिलेगा। काश हम वो दिन जल्द ही देख पाएंगे जब महिलाओं की लैंगिक समानता के साथ उसे हर क्षेत्र में समान दर्जा उपलब्ध होगा।