सीएम मनोहर पर्रिकर का कैंसर से निधन, सोमवार को होगा अंतिम संस्कार

रिपोर्ट : अजीत कुमार


 


 


 


कैंसर से जंग लड़ रहे मनोहर पर्रिकर ने रविवार को आखिरी सांसें लीं। हाल ही में गोवा का बजट पेश करने से पहले मनोहर पर्रिकर ने कहा था, परिस्थितियां ऐसी हैं कि विस्तृत बजट पेश नहीं कर सकता लेकिन मैं बहुत ज्यादा जोश और पूरी तरह होश में हूं। इससे उनकी जिजीविषा का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे पहले उनकी स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई थी। डॉक्टर लगातार उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। 
पीएम नरेन्द्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट करते हुए श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने ट्वीट के साथ एक तस्वीर भी शेयर की जिसमें पीएम मनोहर पर्रिकर के साथ हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि पर्रिकर एक अद्वितीय नेता थे। एक सच्चे देशभक्त और असाधारण प्रशासक, वह सभी की प्रशंसा करते थे। राष्ट्र के प्रति उनकी त्रुटिहीन सेवा को पीढ़ियों द्वारा याद किया जाएगा। उनके निधन से गहरा दुख हुआ। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। शांति। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि मनोहर पर्रिकर आधुनिक गोवा के निर्माता थे। अपने मिलनसार व्यक्तित्व और सुलभ स्वभाव की बदौलत वे वर्षों तक राज्य के पसंदीदा नेता बने रहे। उनकी जन-समर्थक नीतियों ने गोवा के तराजू को उल्लेखनीय बनाया। तीसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि भारत हमारे रक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के लिए मनोहर पर्रिकर का सदा आभारी रहेगा। जब वह रक्षामंत्री थे, भारत ने कई फैसलों को देखा, जिसने भारत की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाया, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ाया और पूर्व सैनिकों के जीवन को बेहतर बनाया।
मनोहर पर्रिकर का अंतिम संस्कार सोमवार साढ़े पांच बजे गोवा में किया जाएगा। पीएम मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्री, बीजेपी नेता, संघ से जुड़े बड़े लोग व अन्य पार्टीयों के नेता उनको श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे। सीएम मनोहर पर्रिकर के पार्थिव शरीर के गोवा में उनके निवास पर रखा गया है। सोमवार सुबह 9.30 बजे से उनके अंतिम दर्शन के लिये समय रखा गया है। शाम साढ़े चार बजे तक लोग श्रद्धांजलि दे सकेंगे। पणजी में बीजेपी कार्यालय में भी पार्थिव देह को रखा जाएगा। 
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद केंद्र सरकार ने 18 मार्च को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। पर्रिकर की अंत्येष्टि क्रिया राज्य सरकारक के अनुसार की जाएगी। राष्ट्रीय राजधानी और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर के निधन पर शोक जताने के लिए सोमवार को 11 बजे कैबिनेट की बैठक रखी गई है। इस बीच उनके घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। उनके करीबी सहयोगी सिद्धार्थ कुनकोलियेंकर ने कहा कि राज्य सरकार के डॉक्टर उनकी स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए थे। 
गौरतलब है, कि मनोहर पर्रिकर ने 2000-05 और 2012-14 तक गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य थे। उन्होंने 1978 में प्प्ज् बॉम्बे से धातुकर्म इंजीनियरिंग में स्नातक किया। उन्हें 2001 में आईआईटी बॉम्बे द्वारा प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पर्रिकर मोदी कैबिनेट में सबसे सक्रिय और अग्रिम मंत्रियों में से एक साबित हुए हैं। 
उन्होंने राफेल सौदे को प्राप्त किया जो लगभग एक दशक तक गहरे फ्रीज में था। उन्होंने अपनी नो-इमेज को रक्षा मंत्रालय तक पहुंचाया है, यही वजह है कि पूरे विभाग की दक्षता काफी बढ़ गई है। मनोहर पर्रिकर अपनी साइकिल से गोवा विधान सभा की सेर करने के लिये जाने जाते थे। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद सभी सरकारी लाभों से इनकार कर दिया। वह सबसे प्रमुख आईआईटी करने वालों से एक है जो राजनेता बन गए।
जून 2013 में पीएम कैंडिडेट के रूप में नरेंद्र मोदी का खुले तौर पर समर्थन करने वाले बड़े बीजेपी नेताओं में उनका नाम था। गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान पर्रिकर ने कहा था कि मैं आम जनता के अकसर संपर्क में रहता हूं, जो मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाने के पक्ष में है। इसी कार्यकारिणी के दौरान मोदी को बीजेपी प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया था और उनकी पीएम उम्मीदवारी का रास्ता साफ हुआ था। यही नहीं पीएम बनने के बाद मोदी ने सबसे पहले गोवा का ही आधिकारिक दौरा किया था।
पर्रिकर का आखिरी कार्यकाल विवादों में भी रहा। विपक्षी कांग्रेस ने उन पर जनमत की उपेक्षा करते हुए जोड़तोड़ की बदौलत सरकार बनाने का आरोप लगाया। वहीं, राफेल मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पर्रिकर के बहाने पीएम को घेरने की कोशिश की। राहुल ने गोवा विधानसभा जाकर पर्रिकर से मुलाकात भी की थी। इसके बाद 30 जनवरी को ट्वीट करते हुए राहुल ने अपनी चिट्ठी में लिखा, मैं पर्रिकरजी से मिला था। पर्रिकरजी ने स्वयं कहा है कि डील बदलते समय पीएम ने हिंदुस्तान के रक्षा मंत्री से नहीं पूछा था।