शहीद-आज़म भगत सिंह के शहीदी दिवस के मौके पर जनक पुरी में स्मृति सभा का आयोजन

रिपोर्ट : अनुज झा


 


 


 


जनक पुरी के पूर्व निगम पार्षद संजय पुरी ने कहा कि 23 वर्ष की आयु में जब अपना कैरियर बनाने प्राथमिकता होती है किन्तु इस आयु में शहीद भगत सिंह व उनके साथियों ने हिंदुस्तान को ब्रिटिश हकुमत से आज़ादी दिलाने की खातिर फांसी के फंदे को चूम कर हसंते हुए गले लगा कर 1931 में 23 मार्च  को अपनी शहादत से एक ऐसी चिंगारी सुलगाई जो आगे चल कर आज़ादी की जंग में शोला बन गई और अंग्रेंजों को भारत छोड़ कर जाना ही पड़ा।


पुरी ने  यह बात जनक पुरी के सी 4 जी ब्लाक स्थित डीडीए पार्क में लाफ्टर एंड क्लेपिंग क्लब की ओर से क्रांतिकारी शहीद-आज़म भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहीदी दिवस के मौके पर आयोजित एक स्मृति सभा को सम्बोधित करते हुए कही जहाँ बड़ी संख्या में महिलाओं व पुरुषों ने शहीदों के चित्र पर पुष्प अर्पित करके अपनी भावभीनी श्रधान्जली दी। इस मौके पर वरिष्ट नागरिकों के देश भक्ति की गीत भी गाये।


पुरी ने आगे कि शहीद भगत सिंह व उनके साथियों के महान बलिदान को हिंदुस्तान की किसी भी सरकार ने वो सम्मान नहीं दिया जिस के वे हकदार हैं। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इतिहास की पुस्तकों में इन महान देश भक्तों को क्रांतिकारियों की सूचि में नहीं बल्कि आतंकवादी कहा गया है। यह बात हर देश भक्त को बहुत बुरी लगती है। संजय पुरी ने मांग की भारत सरकार को इन महान क्रांतिकारियों के महान बलिदान को मान्यता देते हुये इन्हें देश के सर्वोच्य सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करके एतिहासिक गलती को सुधारना चाहिए पुरी की मांग का सभी ने जबर्दस्त समर्थन किया और पूरा पार्क भारत माता की जय, वन्देमातरम, शहीद भगत सिंह अमर रहे के नारों से गूंजने लगा।