क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की कुछ सुनी और अनसुनी कहानियां

 


 



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सचिन रमेश तेंदुलकर क्रिकेट के इतिहास में विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह सर्वप्रथम खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित एकमात्र क्रिकेट खिलाड़ी हैं। सन् 2008 में वे पद्म विभूषण से भी पुरस्कृत किये जा चुके है। सन् 1989 में अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण के पश्चात् वह बल्लेबाजी में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने टेस्ट व एक दिवसीय क्रिकेट, दोनों में सर्वाधिक शतक अर्जित किये हैं। वे टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। इसके साथ ही टेस्ट क्रिकेट में 14000 से अधिक रन बनाने वाले वह विश्व के एकमात्र खिलाड़ी हैं। एकदिवसीय मैचों में भी उन्हें कुल सर्वाधिक रन बनाने का कीर्तिमान प्राप्त है। सचिन एक महान खिलाड़ी होने के साथ साथ एक अच्छे इंसान भी हैं।
24 अप्रैल 1973 को राजापुर के मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मे सचिन का नाम उनके पिता रमेश तेंदुलकर ने अपने चहेते संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था। उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिये प्रोत्साहित किया था। सचिन के एक भाई नितिन तेंदुलकर और एक बहन सविताई तेंदुलकर भी हैं। 1995 में सचिन तेंदुलकर का विवाह अंजलि तेंदुलकर से हुआ। सचिन के दो बच्चे हैं - सारा और अर्जुन।
सचिन ने शारदाश्रम विद्यामन्दिर में अपनी शिक्षा ग्रहण की। वहीं पर उन्होंने प्रशिक्षक (कोच) रमाकान्त अचरेकर के सान्निध्य में अपने क्रिकेट जीवन का आगाज किया। तेज गेंदबाज बनने के लिये उन्होंने एम.आर.एफ. पेस फाउण्डेशन के अभ्यास कार्यक्रम में शिरकत की पर वहाँ तेज गेंदबाजी के कोच डेनिस लिली ने उन्हें पूर्ण रूप से अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा।
सचिन के कोच रमेश आचरेकर का सचिन को अभ्यास कराने का तरीका बिल्कुल अनोखा था। वह क्रीज पर विकेट के नीचे 1 रूपये का सिक्का रखते थे। अगर किसी गेदबाज ने सचिन को आउट कर दिया तो यह सिक्का उस गेदबाज का हो जाता था और अगर सचिन आउट नहीं हुए तो यह सिक्का सचिन का हो जाता था। सचिन ने अपने गुरु से ऐसे ही 13 सिक्के जीते जो अभी भी सचिन के पास है। इस तरह से सचिन के गुरु ने सचिन को बल्लेबाजी में निपुण बनाया। पूर्व भारतीय कप्तान सचिन ने 463 एकदिवसीय मैचों में 18426 और 200 टेस्ट मैचों में 15921 रन बनाए हैं।
1989 में सचिन का पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच पाकिस्तान के साथ 16 वर्ष की उम्र में हुआ, तब इन्होने अपना जोरदार प्रदर्शन किया और इस मैच में इन्हें नाक पर चोट लगी और जोरदार खून निकलने लगा, लेकिन इन्होने हार नही मानी और अच्छा प्रदर्शन किया और पाकिस्तानी टीम के खिलाड़ियों के छक्के छुड़ा दिए। उन्हीं के नाम वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक लगाने का भी कीर्तिमान दर्ज है। सचिन ने सन 1990 में इंग्लैंड दौरे में अपने टेस्ट क्रिकेट का पहला शतक लगाया जिसमे उन्होंने नाबाद 119 रन बनाये इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के टेस्ट मुकाबलों में भी सचिन का प्रदर्शन यही रहा और उन्होंने कई टेस्ट शतक जड़े। सचिन ने 1992-93 में अपना पहला घरेलु टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ भारत में खेला जो उनका टेस्ट कैरियर का 22वा टेस्ट मैच था। सचिन की प्रतिभा और क्रिकेट तकनीक को देखते हुए सभी ने उन्हें डॉन ब्रेडमैन की उपाधि दी जिसे बाद में डॉन ब्रेडमैन ने भी खुद इस बात को स्वीकार किया।
इस महान खिलाड़ी ने आज तक जो कीर्तिमान हासिल किया है क्रिकेट की दुनिया में इसे कोई नही छू पाया है। जब सचिन ने क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला लिया, तो इनके चाहने वालो को बहुत बड़ा आहात लगा, इनके इस निर्णय का विरोध भी किया गया, लेकिन दिसंबर 2012 में इन्होने वनडे मैच से सन्यास लेने का फैसला लिया। 16 नवंबर 2013 में इन्होंने क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया, जब मीडिया द्वारा ये बात दूर दूर तक फैली तो इनके इस फैसले से कई लोगो के दिल टूट गए और उन्हें इस फैसले से अपने पैर पीछे लेने की गुहार लगाई गई। लेकिन सचिन अपनी इस बात पर अटल रहे। इन्होने अपने पूरे करियर में 34000 रन बनाए, जिसमे 100 शतक भी शामिल की, आज तक इस रिकॉर्ड को कोई अन्य खिलाड़ी तोड़ नहीं पाया।
इन्हें क्रिकेट की दुनिया में भगवान का दर्जा दिया गया है इन्होने कई रिकॉर्ड तोड़े है और नए बनाए है कई बार सेंचुरी और डबल सेंचुरी बनाई है और कई बार मेन ऑफ द मैच का खिताब जीते है। कई मैच में इन्होने अपने प्रदर्शन से भारत देश की विजय का झंडा फेहराया है। इन्हें कई अवार्डस, मेडल और ट्रॉफी से सम्मानित किया गया है भारत सरकार द्वारा भी इन्हें कई अवार्डो से पुरुस्कृत किया गया है।