नेता जी की चैपाल

रिपोर्ट : तरुण जैन 


 


 


 


टीवी हो या अखबार सभी की मुख्य खबरों में सिर्फ चुनाव की खबरें ही छाई हुई हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का चुनाव है कोई हंसी-मजाक का खेल थोड़े ही न है। सभी दल मिलकर एक दूसरे को हराने के लिए एक से बढ़कर एक भाषणों के साथ जनता के बीच जा रहे हैं। लेकिन कुछ नेता चुनाव की भाग-दौड़ के बीच में बदजुबानी पर उतर आये हैं। यूपी की बात करें तो एक समुदाय विशेष के नेता जी ने महिलाओं के अंग वस्त्रों को चुनावी भाषण में मुद्दा बना दिया गया। वे इतने पर भी नहीं रुके और आइएएस आधिकारियों का भी अपमान करते हुए नजर आये। इधर नेता जी ने मुँह खोला ही था कि क्या फेसबुक, क्या ट्विटर सभी जगह नेता जी के चर्चे शुरू हो गए। आलम यह हुआ कि एक और नेता जी दिन प्रतिदिन अखबारों की सुर्खियाँ बटोर रहे थे, उधर चुनाव आयोग सहित अन्य सरकारी संस्थान नेता जी को नोटिस पर नोटिस भेजे जा रहे थे। लेकिन नेता जी तो बड़ी नाक वाले आदमी थे तो पार्टी ने पूरा साथ दिया और विपक्ष को बात का बतंगड़ बनाने के लिए निशाने पर लिया। लेकिन नेता जी बेटे ने तो कमाल ही कर दिया। जब देखा कि उसे भी मौके पर चैका मार लेना चाहिए तो कूद पड़े मैदान में और कर दी आरोपों की बरसात। बोले, अल्पसंख्यक हूं इसलिए निशाना बनाया गया। अब कोई उनसे पूछे कि भैया जब आपके पिता बदजुबानी कर रहे थे, तब समुदाय का ख्याल न आया।
दूसरी ओर कुछ समय पहले एक गठबंधन की बात करने वालों दलों में बच्चों की तरह झगड़ा हो गया। यूपी हो या बिहार सभी जगहों पर देश की सबसे पुरानी पार्टी को सभी ने आँखे दिखानी शुरू कर दी। साइकल वाले भैया ने तो धोखेबाज तक कह डाला वही बिहार में लालटेन वाले बड़के ने तो रैली में शामिल होने से मना कर दिया। इसको लेकर सोशल मीडिया पर चर्चाएं शुरू हो गई। कुछ लोगों ने तो चुटकी लेते हुए कहा कि चुनाव से पहले ही यह हाल है, चुनाव के बाद हाथ वाले भैया, जो दिन रात पीएम बनने का सपना देखते हैं, उनका क्या होगा?
इसी बीच एक और नेता जी की बात कर लेते हैं। ये नेता जी वैसे तो फिल्मी दुनिया के माहिर कलाकार रह चुके हैं, लेकिन आज कल जनता को बहुत कन्फ्यूज कर रहे हैं। पहले फूल वाली पार्टी में थे, फूलवालों की ही आलोचना करते थे, आज हाथ के साथ हैं तो साइकल वाले भैया की तारीफ कर रहे हैं। कभी अपने से छोटी महिला को अपनी माँ बता देते हैं तो कभी खामोश-खामोश चिल्लाते रहते हैं। जनता इनसे जनता चाहती हैं कि ये नेता जी आखिर चाहते क्या हैं? अब इस सवाल का जवाब जनता को कितना पसंद आता है, ये तो 23 मई के बाद ही पता चलेगा लेकिन तब तक नेता जी की चैपाल यूं ही लगती रहेगी।