अयोध्‍या विवाद पर फैसले की घड़ी नजदीक

 


 



 


अयोध्या में भूमि विवाद पर फैसले की तारीख नजदीक आ चुकी है। सुनवाई पूरी होने के बाद इस समय सभी पक्षों के वकीलों के दावों और सबूतों की जांच के साथ ही फैसला लिखा जा रहा है। फैसले से पहले उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों ने कानून-व्यवस्था को चाक चौबंद रखने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।


इस बीच कोर्ट के गलियारों और आम लोगों के बीच यह चर्चा है कि फैसला किस तारीख को आ सकता है। कुछ का कहना है कि अयोध्या पर फैसला शुक्रवार 8 नवंबर को ही आ जाएगा। फैसले का समय हो सकता है दोपहर साढ़े तीन बजे। जुमे की नमाज के बाद का। दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की विशेष पीठ मंगलवार यानी 12 नवंबर के बाद इस मामले में फैसला सुनाएगी। यानी 13 से 16 नवंबर के बीच किसी भी दिन।


इन तारीखों में से 13 नवंबर या फिर 14 नवंबर को बाल दिवस पर फैसला आने की जताई जा रही है। कोर्ट के कैलेंडर पर गौर करें तो कार्यदिवसों में सात और आठ नवंबर हैं। नौ, दस, ग्यारह और बारह नवंबर को छुट्टियां हैं। फिर कार्तिक पूर्णिमा के बाद कोर्ट 13, 14 और 15 नवंबर को ही खुलेगा। 16 नवंबर को शनिवार और 17 को रविवार है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रविवार को रिटायर हो जाएंगे। 18 नवंबर को जस्टिस शरद अरविंद बोबडे नये चीफ जस्टिस की शपथ लेंगे। सात नवंबर का दिन तो गुजर गया तो अब चार दिन बचते हैं 8, 13, 14 और 15 नवंबर।


वैसे कोर्ट चाहे तो 16 नवंबर को शनिवार के दिन भी फैसला सुना सकता है। उस दिन सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी होगी। न वकीलों का जमावड़ा होगा, न ही मुवक्किलों का। सुरक्षा-व्यवस्था भी बनाए रखना भी आसान होगा। देश भर में साप्ताहिक अवकाश होने से लोग घरों पर ही रहेंगे। इस मामले से जुड़े कई अहम सूत्रों का मानना है कि आठ नवंबर को फैसला आने की संभावना काफी कमजोर है। अभी सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षा विभाग यानी दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक अब तक सर्वोच्च अदालत सुरक्षा घेरा बढ़ाने और सख्त करने का कोई आदेश या संदेश नहीं आया है। सूत्र बताते हैं कि फैसले वाले दिन से कम से कम 3 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के चारों ओर करीब 2 किमी के घेरे में सुरक्षा इंतजाम पुख्ता कर दिए जाएंगे।


अयोध्या में इस समय चौदह कोसी परिक्रमा चल रही है। मंगलवार से शुरू हुई 42 किलोमीटर की इस परिक्रमा में शुक्रवार तक करीब 20 से तीस लाख श्रद्धालुओं की आवाजाही होगी। इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा को पांच कोसी परिक्रमा यानी 15 किलोमीटर की परिक्रमा में भी लाखों श्रद्धालु अयोध्या में रहेंगे।


अयोध्या के आचार्य किशोर कुणाल का कहना है, 'फिलहाल यहां तिल रखने की भी जगह नहीं है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से यहां सदियों से परिक्रमा शुरू होती रही है। कार्तिक पूर्णिमा को भी पंचकोसी परिक्रमा होती है।' उन्होंने कहा, 'राम जन्मभूमि की अधिगृहीत भूमि के ठीक बाहर एक मंदिर बनया गया है। उसमें भगवान की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है। देवोत्थान एकादशी यानी आठ नवंबर को बड़ा समारोह है।' अयोध्या में मंदिर अभी भी बन रहे हैं। ऐसे में इस दौरान फैसला आया तो अयोध्या और इसके चारों ओर पांच कोस यानी 15 किलोमीटर के इलाके में कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने की चुनौती होगी ही वो भी तब जब देश विदेश के लाखों श्रद्धालु वहां पर मौजूद रहेंगे।