किसानों और चीनी उद्योग को और अधिक लाभ देते हुए, केन्द्र सरकार ने यह घोषणा की है कि बी-हैवी शीरे से अतिरिक्त इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए अलग से पर्यावरणीय मंजूरी की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे पर्यावरण पर कोई अतिरिक्त प्रभाव नहीं पड़ेगा। केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक ट्वीट में यह घोषणा की।
भारत सरकार द्वारा दिए जा रहे विभिन्न प्रोत्साहनों के कारण चीनी मिलों से बी-हैवी शीरे तथा अन्य सह-उत्पादों/उत्पादों से इथेनॉल का उत्पादन करने की उम्मीद की जाती है। इससे मौजूदा डिस्टिलरी या चीनी मिल के कुल पर्यावरण भार में कोई वृद्धि किए बिना ही इथेनॉल के उत्पादन में आकस्मिक वृद्धि होगी। ऐसी चीनी मिलों को पर्यावरणीय मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है।
उत्पादन क्षमता में वृद्धि के ऐसे सभी मामलों में नए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन या सार्वजनिक परामर्श लेने की आवश्यकताओं को समाप्त करने के लिए सरकार ने पर्यावरणीय मंजूरी जारी करने के संबंध में एक स्पष्टीकरण दिया है। ऐसा होने से चीनी मिलों के कुल प्रदूषण भार में बढ़ोतरी किए बिना सी-हैवी शीरे के स्थान पर बी-हैवी शीरे से इथेनॉल का अतिरिक्त उत्पादन करने में चीनी मिलों को मदद मिलेगी।
यह स्पष्ट किया गया है कि बी-हैवी शीरे/गन्ने का रस/गन्ने की राब /चीनी से इथेनॉल का अतिरिक्त उत्पादन करने के इच्छुक सभी प्रस्तावों पर संबंधित विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान करने के लिए ईआईए अधिसूचना, 2006 के 7 (ii) (ए) के प्रावधानों तहत विचार किया जाएगा।