विश्व के प्रमुख मेगा विज्ञान परियोजनाओं को एक साथ लाकर भारत की पहली वैश्विक मेगा विज्ञान प्रदर्शनी “विज्ञान समागम” का कोलकाता के साइंस सिटी में उदघाटन किया गया। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।
विभिन्न स्थानों पर आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी मुम्बई और बेंगलुरू में अपने सफल आयोजन के बाद अब कोलकाता में जनता के लिए खोल दी गई है। विज्ञान समागम प्रदर्शनी 31 दिसंबर, 2019 तक चलेगी। परमाणु ऊर्जा विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, इन परियोजनाओं की धन पोषण एजेंसियाँ और संस्कृति विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद जो कि वेन्यू पार्टनर हैं और उनके पास डिजाइन और ऐसी प्रदर्शनियों की मेजबानी की विशेषज्ञता है और इन्होंने मिलकर प्रतष्ठित विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
विज्ञान सिटी में समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने विज्ञान समागम की यात्रा पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “मेगा विज्ञान परियोजनाएं नवीन प्रौद्योगिकियों के विकास में सहायक सिद्ध होती हैं और ये प्रौद्योगिकियाँ हमारे दैनिक जीवन में कई अन्य अनुप्रयोगों के काम आती हैं। ये वर्ल्ड वाइड वेब, उन्नत इमेजिंग टेक्नोलोजिज, आधुनिक फोटोग्राफी और मेडिकल इमेजिंग में प्रयोग की जा रही हैं। इसके अलावा कैंसर थैरेपी में भी एक्सलेरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है, ये कुछ उदाहरण हैं। इनकी सूची बहुत बड़ी है लेकिन इससे ये सिद्ध होता है कि मेगा विज्ञान परियोजनाओं के माध्यम से समय के साथ-साथ वैश्विक प्रौद्योगिकी में प्रमुख परिवर्तन के युग का सुत्रपात हुआ है”।
केन्द्रीय मंत्री ने अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी उजागर किया जो इन विज्ञान परियोजनाओं से उभरकर सामने आए हैं। ये परियोजनाएँ विश्व भर में वैज्ञानिकों के बीच सहयोग के क्षेत्र में सहायक हो रही हैं इसलिए प्रौद्योगिकिय जटिलताएं और इन परियोजनाओं की बनावट उनके आकार और लागत ने इन परियोजनाओं को बहु-संस्थागत और बहुराष्ट्रीय बना दिया है। विश्व भर के श्रेष्ठ बुद्धिमानों के साथ ऐसी कई परियोजनाओं में इनके इस्तेमाल से ऐसा हुआ है। मैं आश्वस्त हूँ कि हमारे वैज्ञानिक परियोजना प्रबंधन अनुभव से लाभान्वित होंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि “हमारे प्रधान मंत्री ऐसे विशाल वैज्ञानिक उपक्रमों के बहुत अधिक सहायक रहे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने फ्रांस में आईटीईआर परियोजना में हमारे योगदान की चर्चा की थी। वे ऐसी परियोजनाओं को परिणामजनक और सुखद बदलाव का सूचक मानते हैं जिनसे देश में विनिर्माण क्षमताओं को हाइटैक बनाने में मदद मिलेगी और उन्नत प्रौद्योगिकियों के लिए मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिल सकेगा। “मैं ऐसी परियोजनाओं में हमारे लगभग 70 प्रतिशत निवेश को जानकर प्रसन्न हूँ जिसका इस्तेमाल देश में और वह भी भारतीय उद्योगों में किया जा रहा है”।
उन्होंने सभी विज्ञान समागम के भागीदारों का कोलकाता में कल से शुरू हो रहे भारत अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव, 2019 के लिए स्वागत किया और कहा “भारत अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव की शुरूआत 2015 में की गई थी और यह देश का सबसे बड़ा वार्षिक वैज्ञानिक आयोजन बन गया है”। विज्ञान समागम इस वर्ष भारत अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के कार्यक्रम में एक बहुमूल्य देन है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, ने कहा कि भारत ने विगत वर्षों में कई वैज्ञानिक दिए हैं। विज्ञान समागम के माध्यम से हमारा प्राथमिक लक्ष्य युवा मस्तिष्क को ब्रह्माण्ड के रहस्यों और क्रमिक विकास के विभिन्न पहलुओं को उजागर करना है ताकि उन्हें विज्ञान को अपना करियर बनाने के लिए उत्साहित और प्रेरित किया जा सके और वे राष्ट्र की बौद्धिक पूंजी और वृद्धि में योगदान कर सकें।
विज्ञान समागम प्रदर्शनी अपने दर्शकों को विश्व के छोटे और बड़े वैज्ञानिक तथ्यों और ब्रह्माण्ड के समझबूझ के अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों को उजागर करने का प्रयास है। हिग्स कणों की खोज से न्युट्रान स्टार और ब्लैक होल्स के विलय से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण की लहरों की खोज के दौरान इन परियोजनाओं ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और विभिन्न चरणों में इसके विकासक्रम से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों पर प्रकाश डाला है।
प्रदर्शनी विश्व विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार तथा उच्च ऊर्जा भौतिकी, परमाणु भौतिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और एस्ट्रोफिजिक्स और परमाणु ऊर्जा आदि के क्षेत्रों में अनुसंधानकर्ताओं के लिए भारत का योगदान है। इससे परमाणु ऊर्जा विभाग के कार्यों के परमाणु प्रौद्योगिकियों पर कार्यों के अलावा मूल विज्ञान और अनुसंधान के कार्य और सूचना प्रौद्योगिकी की देशभर में संस्थागत और विषयी सीमाओं तक के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की व्यापक कनेक्टिविटी को ऊजागर किया जा सकेगा।
कोलकाता विज्ञान समागम की शुरूआत और नई दिल्ली में इसके अंतिम चरण के बाद इसे 21 जनवरी, 2020 से 20 मार्च, 2020 के बीच राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र में लगाया जाएगा। इसके बाद यह नई दिल्ली में एक स्थायी प्रदर्शनी बनेगी जिसकी देखभाल राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद करेगी।
समारोह में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव के. एन. व्यास और परमाणु ऊर्जा विभाग के पूर्व सचिव शेखर बसु भी उपस्थित थे। प्रतिष्ठित वैश्विक विज्ञान परियोजनाओं की प्रदर्शनी की मेजबानी कर रहे राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद के सचिव ए. डी. चौधरी, विज्ञान समागम की सर्वोच्च समिति के अध्यक्ष और परमाणु नियंत्रण और योजना खंड के प्रमुख रंजीत कुमार, परमाणु ऊर्जा विभाग के संस्थागत सहयोग और कार्यक्रम संभाग के प्रमुख और सर्वोच्च समिति के संयोजक अरुण श्रीवास्तव, विज्ञान सिटी कोलकाता के निदेशक शुभब्रत चौधरी और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के मेगा विज्ञान संभाग के प्रमुख डॉ. प्रवीन अस्थाना भी इस अवसर पर उपस्थित थे।