भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्‍व गुरु के रूप में उभरने का सामर्थ्‍य है: डॉ. हर्षवर्धन

 


 



 


केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्‍वी विज्ञान और स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्‍व के शीर्ष उद्योग के रूप में उभरने का सामर्थ्‍य मौजूद है। तीन दिवसीय ग्‍लोबल बायो-इंडिया समिट के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए डा. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत के पास विशेषज्ञता है और हाल के दशकों में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृद्धि देखी गई है। सरकार ने सैंकड़ों जैव प्रौद्योगिकी पार्कों और इन्‍क्‍यूबेटर्स की स्‍थापना के माध्‍यम से इस क्षेत्र को प्रोत्‍साहन दिया है, जबकि हजारों स्‍टार्ट-अप्‍स को सरकार द्वारा सहायता दी जा रही है।


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2030 तक भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शीर्ष स्‍थान दिलाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। उन्‍होंने कहा कि दुनिया भर में वैज्ञानिक प्रकाशनों में 5 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में भारत ने इस क्षेत्र में 14 प्रतिशत वृद्धि हासिल की है। उन्‍होंने कहा कि हमने अनेक टीके विकसित किये हैं और रोटा वायरस वैक्‍सीन अब राष्‍ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का अंग बन चुका है। उन्‍होंने कहा, 'इसके अलावा हमारी प्रयोगशालाओं ने डेंगू और मलेरिया से निपटने के लिए भी वैक्‍सीन तैयार किये हैं। नैनो टैक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में हम तीसरे स्‍थान पर हैं और हमारी त्‍सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली विश्‍व में प्रथम स्‍थान पर है।'


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा प्रायोजित मिशन नवाचार (एमआई) कार्यक्रम में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है और वह बिजली एवं टिकाऊ जैव ईंधनों तक स्‍मार्ट ग्रिड्स, ऑफ ग्रिड पहुंच से संबंधित तीन एमआई चुनौतियों में सबसे आगे है। उन्‍होंने कहा,'हम आज 'बदला हुआ भारत' हैं और जैसा कि श्री नरेन्‍द्र मोदी ने लक्ष्‍य निर्धारित किया है, हम वर्ष 2022 तक इसे 'नया भारत' बनाएंगे और अंतत: हमारा लक्ष्‍य विश्‍व में अग्रणी, 'विश्‍व गुरु' बनने का है।'


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी के नेतृत्‍व वाली अर्थव्‍यवस्‍था का रुख करते हुए, ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों के जीवन में बदलाव लाकर सभी के लिए अवसर और विकास की संभावनाएं सृजित करने के माध्‍यम से मानवता की सेवा करती है। उन्‍होंने जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के युवा नवाचारियों और उद्यमियों को देश के विकास के लिए आगे आने के लिए प्रोत्‍साहित किया। उन्‍होंने कहा,'भारत सरकार उनके विचारों को यथार्थ रूप प्रदान करने में सहयोग और सहयता प्रदान करेगी।' उन्‍होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दृष्टि के अनुसार 20 साल पहले की सूचना प्रौद्योगिकी की लहर आज का भारत है और जैव प्रौद्योगिकी आने वाले कल का भारत है।'


इस अवसर पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्‍पात मंत्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने कहा कि सरकार ने 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण वाले ऑटोमोटिव ईंधनों को प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। उन्‍होंने कहा,'हमारे कार्यभार संभालने के समय एथनॉल मिश्रण एक प्रतिशत से कम था, अब यह बढ़कर 6 प्रतिशत हो गया है और अब हमने 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है।'     


प्रधान ने कहा कि हम कार्बन उत्‍सर्जन में कमी लाने तथा भारत को गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था बनाने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जैव ऊर्जा इस संबंध में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्‍होंने कहा,'हमारे जैव-ऊर्जा वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किये गये नवाचारों के माध्‍यम से हम बायो मास अपशिष्‍टों का उपयोग कर उन्‍हें जैव ईंधनों में परिवर्तित करने के लिए कार्य कर रहे हैं। कच्‍चे माल के रूप में उपयोग में लाए जा सकने वाले 600 एमटी बायोमास के साथ भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसे पास जैव ईंधनों की वृद्धि के लिए अधिकतम संभावनाएं मौजूद हैं।'


प्रधान ने कहा,'भविष्‍य में एथनॉल अतिरिक्‍त अनाज जैसे कच्‍चे माल से तैयार किया जाएगा जिससे हमारे 'अन्‍नदाताओं' को 'ऊर्जादाता' बनाने में मदद मिलेगी। कच्‍चे माल के रूप में इस्‍तेमाल किये जा सकने वाले 600एमटी बायोमास के साथ भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें जैव ईंधनों की वृद्धि के लिए सर्वाधिक संभावनाएं मौजूद हैं।


प्रधान ने कहा कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 300 करोड़ रुपये के र्स्‍टाट-अप कोष की स्‍थापना की है। उन्‍होंने कहा,'मैंने अपने सहकर्मियों को जैव ईंधन पर प्रमुख रूप से ध्‍यान केन्द्रित करने की सलाह दी है और इस उद्योग को सहायता और जैव ईंधन के क्षेत्र में नये और उभरते हुए उद्यमियों को ऑफटैक गारंटी प्रदान करते हुए प्रोत्‍साहन दें।'


नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. विनोद के. पॉल ने अपने संबोधन में कहा कि देश में प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को सफल बनाने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा,'भारत की जनता की अकांक्षाएं बढ़ चुकी हैं और हम अपनी पहुंच का दायरा प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं से बढ़ाकर दूसरे और तीसरे स्‍तर की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं तक ले जा रहे हैं।'


जैव प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव डॉ. रेणु स्‍वरूप ने कहा कि तीन दिवसीय जैव प्रौद्योगिकी शिखर सम्‍मेलन में 100 बिलियन डॉलर वाली जैव अर्थव्‍यवस्‍था का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने की योजना पर चर्चा होगी। उन्‍होंने कहा,'हम पहले ही 21 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुके हैं और यह क्षेत्र अब 14.7 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है, ऐसे में 100 बिलियन डॉलर का लक्ष्‍य बहुत मामूली प्रतीत होता है।'


बाद में डॉ. हर्षवर्धन और धर्मेन्‍द्र प्रधान ने ग्‍लोबल बायो-इंडिया प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। 


ग्‍लोबल बायो-इंडिया, जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के हितधारकों के सबसे बड़े सम्‍मेलन में से एक है। भारत में पहली बार इसका आयोजन किया गया है। इस सम्‍मेलन ने शिक्षाविदों, नवाचारियों, शोधकर्ताओं, स्‍टार्ट-अप्‍स, मझोली और बड़ी कंपनियों को एक मंच पर आने का अवसर प्रदान किया है। लगभग 25 देशों और भारत के 15 से ज्‍यादा राज्‍यों के 3000 से ज्‍यादा प्रतिनिधि इसमें भाग ले रहे हैं। 200 से ज्‍यादा प्रदर्शक, 275 स्‍टार्ट-अप्‍स और 100 से ज्‍यादा जैव प्रौद्योगिकी इन्‍क्‍यूबेटर इसमें शिरकत कर रहे हैं।


जैव प्रौद्योगिकी को एक उदीयमान क्षेत्र- 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनने के भारत के लक्ष्‍य की प्राप्ति में योगदान देने वाले मुख्‍य वाहक के रूप में जाना जाता है।


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