भारतीय रेल अपने परिचालन की लागत को घटाने के उद्देश्य से अनेक उपाय कर रही है। उपभोक्ता के स्थान पर मान्य लाइसेंसशुदा के रूप में बिजली की सीधी खरीद करना इन उपायों में प्रमुख है।
'मिशन 41के' दस्तावेज का लक्ष्य समन्वित रेल ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से 2025 तक 41,000 करोड़ रुपये की बचत करना है। रेल मंत्रालय की एक संयुक्त उपक्रम कंपनी रेलवे ऊर्जा प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (आरईएमसीएल) और राइट्स लिमिटेड की ओर से धीरे-धीरे उपभोक्ता के स्थान पर मान्य लाइसेंसशुदा के रूप में इस लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार, मान्य लाइसेंसशुदा दर्जे के कारण, भारतीय रेल मुक्त पहुंच के तहत केन्द्रीय एवं राज्य ट्रांसमिशन प्रणाली के लिए ह्वीलिंग शुल्कों का भुगतान करके किसी बिजली उत्पादक कंपनी से सीधे तौर पर बिजली खरीदने के लिए अधिकृत है।
इस क्रम में, भारतीय रेल ने 24 नवंबर, 2019 से 11 ट्रैक्शन उप-स्टेशनों के लिए पंजाब में 35 मेगावॉट बिजली की खरीद शुरू की है, जिसके परिणाम स्वरूप 56 करोड़ रुपये की सालाना अनुमानित बचत होगी। मुक्त पहुंच की श्रेणी में पंजाब के जुड़ने से, भारतीय रेल अब 11 राज्यों में मान्य लाइसेंसशुदा के रूप में मुक्त पहुंच के तहत लगभग 1400 मेगावॉट (70 प्रतिशत) बिजली प्राप्त कर रही है। इन प्रयासों से प्रतिवर्ष 3500 करोड़ रुपये की बचत हो रही है और नवंबर, 2015 में मुक्त पहुंच के तहत बिजली की आपूर्ति शुरू होने के बाद 12,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
इन प्रयासों से भारतीय रेल का वित्तीय बोझ घटने का रास्ता साफ होगा। इन प्रयासों से भारतीय रेल के लिए 2015 से लगातार बिजली की सबसे सस्ती दर बनाए रखने में मदद मिली है।