मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर सख्त रुख अपनाया हुआ है। सरकार ने पांचवीं दफा ऐसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इनकम टैक्स विभाग के 21 अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया। अब तक कुल 85 कर अधिकारियों को बाहर किया जा चुका है। इनमें 64 हाई लेवल के अधिकारी थे।
इससे पहले सितंबर में सरकार ने 15 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृति दे दी थी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सरकार ने भ्रष्टाचार और अन्य गलत कार्यों में लिप्त अफसरों को पकडऩे के लिए एक अभियान चला रखा है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट की सजा दी जा रही है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने सार्वजनिक हित में मौलिक नियम 56 (जे) के तहत ग्रुप बी रैंक के 21 इनकम टैक्स ऑफिसर्स को जबरन सेवानिवृत्त किया है। इन सभी पर भ्रष्टाचार के साथ अन्य गंभीर आरोप हैं। ये सभी केंद्रीय जांच आयोग जांच के घेरे में हैं।
राजमुंदरी में पदस्थ सीएच राजाश्री, विशाखापट्टनम में पदस्थ बी श्रीनिवास राव, हैदराबाद में पदस्थ जी वेंकटेश्वर राव, विशाखापट्टनम में पदस्थ पी वेंकटेश्वर राव, लक्ष्मी नीरज, हजारीबाग में पदस्थ विनोद कुमार पाल, हजारीबाग में ही पदस्थ तरुण राय, मुंबई में पदस्थ सुश्री प्रीत बाबुकुट्टन, मुंबई में पदस्थ विजय कुमार कोहाड़, मुंबई में पदस्थ टीवी मोहन, ठाणे में पदस्थ अनिल मल्लेल, ठाणे में ही पदस्थ माधवी चव्हाण, आईटीओ मुख्यालय में पदस्थ एमडी जगदाले, राजकोट में पदस्थ राजेन्द्र सिंघल, गुजरात में पदस्थ जेबी सिंह, जोधपुर में पदस्थ आरके बोथरा, जोधपुर में ही पदस्थ आरएस सिसोदिया, सवाई माधोपुर में पदस्थ केएल मीना, बीकानेर में पदस्थ एवके फुलवरिया, उज्जैन में पदस्थ अजय विरेह और भोपाल में पदस्थ आरसी गुप्ता के खिलाफ एक्शन लिया गया है।
आपको बता दें कि मौलिक नियम 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सरकार के पास यह अधिकार है कि वह ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे सकती है। सरकार का मकसद नॉन-परफॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है। सरकार यह फैसला लेती है कि कौनसे अधिकारी काम के हैं और कौनसे नहीं।