डीआरडीओ ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास में शिक्षा जगत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया

 


 



 


रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ)ने 'डीआरडीओ-एकेडमिया इंटरैक्शन फॉर इंप्रूवमेंट इन फ्यूचर टेक्नोलॉजीजनामक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य देश में उपलब्ध अकादमिक विशेषज्ञता का लाभ उठाना और शिक्षा जगत के साथ तालमेल बढ़ाना था । सहयोग के नए क्षेत्रों का पता लगाने के लिए विभिन्न अवधारणाओं पर चर्चा की गई ताकि अनुसंधान सीधे रक्षा उत्पादों और अनुप्रयोगों की दिशा में योगदान दे सके। देश में उपलब्ध शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को उन्नत रक्षा उत्पादों के डिजाइन और विकास में योगदान के लिए रणनीतिक रूप से लगाने के तरीकों पर भी चर्चा की गई।


रक्षा अनुसंधान और विकास में नवाचार को अवशोषित करने की अपार संभावनाएं हैं जो न केवल अनुसंधान और विकास संगठनों तक सीमित है बल्कि देश के किसी भी कोने से अंकुरित हो सकती है । डीआरडीओ के विशेष रुचि के विषयों पर लक्षित उन्नत अनुसंधान करने हेतु डीआरडीओ के द्वारा भविष्य के रक्षा अनुप्रयोगों की कल्पना करने और उन्हें साकार रुप देने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रौद्योगिकी के आठ केंद्र की स्थापना पहले से की गई है । कार्यशाला में उपस्थित प्रख्यात शिक्षाविदों ने डीआरडीओ और अकादमिक संस्थानों के बीचअंतःक्रिया करने के लिए कई अवधारणाएंप्रस्तुत की।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिक्षा जगत और रक्षा अनुसंधान एवं विकास के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में डीआरडीओ द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और तकनीकी उत्कृष्टता राष्ट्रीय गौरव से जुड़ी हुई है और भावी रक्षा अनुप्रयोगों के लिएअकादमिक विशेषज्ञता का उपयोग करने हेतु निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया ।


इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने भावी तैयारी के लिए उन्नत प्रणोदन,टेराहर्ट्ज टेक्नोलॉजीज,एडवांस्ड रोबोटिक्ससाइबर टेक्नोलॉजीजपरिमाण प्रोद्योगिकियों जैसीतीव्र सामाग्री के क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आह्वान किया। उन्होंने डीआरडीओ और शिक्षा विदों जैसे कार्स प्रोजेक्ट्सअसाधारण अनुसंधान परियोजनाओंप्रोद्योगिकी विकास निधिनिर्देशित अनुसंधान परियोजना और कलाम नवोन्मेष पुरस्कार आदि के बीच संबंधों के लिए विभिन्न मौजूदा तंत्रों के बारे में बात की।


डॉ रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ रक्षा अनुसंधान और विकास की मुख्यधारा में शिक्षा जगत की भागीदारी को सक्षम बनाने के लिए व्यवसाय के और मॉडल लाने के लिए तैयार है। उन्होंने प्रस्ताव किया कि प्रौद्योगिकीय उत्पादन में वृद्धि और रक्षा उत्पादों में इसके उपयोग के लिए दोनों पक्षों की जवाबदेही के साथ व्यवसाय के मॉडलों पर काम करने की आवश्यकता है । शिक्षा जगत से प्रस्तावों और विचारों का स्वागत है ।


मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में सचिव आर सुब्रमण्यम ने अपने संबोधन में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के त्वरित विकास के लिए सभी हितधारकों के बीच पारिस्थितिकी प्रणाली और प्रभावी तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आगे का रास्ता विकसित करने के लिए संयुक्त कार्य दल का प्रस्ताव रखा ।


मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में अपर सचिव  राजेश सरवालआईआईटी दिल्लीजोधपुरवाराणसीपलक्कड़गुवाहाटी के निदेशकएनआईटी जयपुरभोपालकालीकटदिल्ली और कुरुक्षेत्र के निदेशकहैदराबाद, जाधवपुर, मिजोरम और भारतियार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।