कृषि रसायन के विभिन्न मोर्चों पर देश की स्थिति विषय के साथ चौथे राष्ट्रीय कृषि रसायन सम्मेलन का दिल्ली में समापन हो गया। पूर्ण सत्र में निरंतर कृषि के लिए कृषि रसायन से जुड़े मुद्दों और चिन्ताओं पर चर्चा की गई। सम्मलेन में कीटनाशकों के संबंध में अनेक सिफारिशें की गईं। इनमें कीटनाशकों को काम लाने के तरीके का संकेत देते हुए लेबलिंग, देश की सीमित अनिवार्यता की तैयारी की स्थिति, जोखिम आधारित प्रतिफल को ध्यान में रखते हुए कीटनाशकों पर प्रतिबंधात्मक रोक, आयातित तकनीकी कीटनाशकों के आंकड़ों के संरक्षण के संबंध में नीति, सुरक्षित नैनो-सूत्रीकरण की शुरूआत, प्रशिक्षण और विस्तार के लिए किसानों को अधिकार सम्पन्न बनाना शामिल है।
समापन सत्र में नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चन्द ने पर्यावरण में प्रयुक्त रसायनों की बर्बादी को कम करने के लिए शुद्ध प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर कृषि रसायनों के जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल पर जोर दिया। प्रो. चन्द ने साझेदारों को सलाह दी कि वे कृषि रसायनों के बारे में झूठे दावों को निरूत्साहित करें और कृषि रसायनों के बारे में जनता में गलत राय फैलाने से निपटें। उन्होंने कृषि रसायन वैज्ञानिकों और सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों से कहा कि वे बायोमास कचरे को सम्पत्ति में बदलने के लिए रसायन और सूक्ष्मजीव पर कार्य करें।
आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि फसल उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कृषि रसायन कृषि में प्रमुखता से निवेश करता रहेगा और हमें इसके सुरक्षित और उचित इस्तेमाल पर जोर देना चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे मनुष्यों, मवेशियों और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नैनो-कीटनाशक दृष्टिकोण के पहलूओं पर विस्तृत कार्य करें।
सत्र को संबोधित करते हुए एनआरएए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अशोक दलवई ने कहा कि कृषि रसायनों के संबंध में समाज के सोचने की प्रक्रिया में पुनःस्थापन की आवश्यकता है और विशेषज्ञों की इसमें एक बड़ी भूमिका है। उन्होंने पंजीकरण की प्रक्रिया को उदार बनाने, राज्य स्तर पर नियमों को लागू करने और तकनीकी कीटनाशक तक पहुंच पर जोर दिया।
यह पहला राष्ट्रीय कृषि रसायन सम्मेलन था अब इसे हर तीन वर्ष पर आयोजित किया जाएगा। सम्मलेन का आयोजन कीटनाशक प्रबंधन में रसायनिक कीटनाशकों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए किया गया है क्योंकि समय-समय पर लक्ष्य आधारित और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद शुरू किए जा रहे हैं। कीटनाशक के उपयोग के लाभ उनके जोखिमों की तुलना में अधिक हैं। फसलों, मानव स्वास्थ्य, संसाधन प्रबंधन, नैनो प्रौद्योगिकी, स्मार्ट निरूपण और संबंधित विज्ञानों में नई अवधारणाओं से कृषि उत्पादकता बढ़ाने की संभावना है। इस पृष्ठभूमि के साथ, विभिन्न मोर्चों पर कृषि रसायनों को स्थायी रूप से विकसित करने के लिए शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए वर्तमान स्थिति का परितुलन किया गया है।