रिपोर्ट : अजीत कुमार
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने देश में इस्पात उद्योग से हरित इस्पात मिशन की दिशा में काम करने के लिए कहा है। दिल्ली में भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) द्वारा आयोजित इस्पात संगोष्ठी 2019 में अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में हम जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान कर रहे हैं। हमने अक्षय ऊर्जा की 450 गीगावॉट क्षमता हासिल करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। मैं इस्पात उद्योग से "हरित इस्पात" मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करने की अपील करता हूँ। इस्पात उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन प्रक्रियाएं विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार का इस्तेमाल करना चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा उनके मंत्रालय ने पूर्वी भारत में प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना शुरू की है जो क्षेत्र में स्थित सभी इस्पात संयंत्रों को गैस की आपूर्ति कर सकती है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल और किफायती ईंधन होने के नाते इस्पात उद्योग को कोयले की जगह गैस का इस्तेमाल करने की ओर बढ़ना चाहिए।
आधुनिक अर्थव्यवस्था के निर्माण में इस्पात की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए प्रधान ने कहा विश्व औद्योगिक क्रांति 4.0 से गुजर रहा है। बड़े डेटा संकलन, डिजिटलीकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थव्यवस्था और समाज में आमूल बदलाव ला रहे हैं। इस तरह के बड़े व्यवधानों के बावजूद आधुनिक अर्थव्यवस्था के निर्माण में इस्पात महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत के बदलते आर्थिक परिदृश्य पर बोलते हुए उन्होंने कहा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली हमारी सरकार निर्णायक, सुधारवादी और दूरदर्शी है। एक फौलादी इरादे के साथ भारत की उद्यमशीलता की भावना के साथ काम करते हुए हम प्रधानमंत्री की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश 2024 तक यह लक्ष्य हासिल कर लेगा। प्रधान ने कहा कि इस्पात उद्योग को अपनी क्षमता और ताकत का एहसास होना चाहिए और इसका भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए।
देश में इस्पात की खपत पर प्रधान ने कहा भारत में इस्पात का इस्तेमाल बढ़ना तय है। हमने देश में इस्पात के उचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ब्रांड बिल्डिंग के तहत एक सहयोगात्मक अभियान "इस्पाती इरादा" शुरू किया है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएं देश में इस्पात के उपयोग को और बढ़ावा देंगी। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव है, जिसमें इस्पात की बहुत खपत होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था खपत पर आधारित है और जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा इस्पात की खपत में तेजी आएगी।
इस्पात का एक बड़ा निर्यातक बनने की भारत की महत्वाकांक्षा के बारे में बोलते हुए प्रधान ने कहा ऐसी कोई वजह नहीं है कि हम इस्पात क्षेत्र में बड़े निर्यातक नहीं बन सकते। राष्ट्र के विकास के लिए हमें घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए और इस्पात का बड़ा निर्यातक देश बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न बाधाओं को पार करने में इस्पात उद्योग को मदद करना जारी रखेगी। उन्होंने इस्पात क्षेत्र से घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने का आह्वान किया और सहायक क्षेत्रों को मदद देने की अपील की। उन्होंने इस्पात उद्योग से अपने संसाधनों की पूलिंग करने और संयुक्त परिवहन सुविधाएं विकसित करने पर विचार करने के लिए कहा।
भारत द्वारा क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता - आरसीईपी से हटने के हाल के फैसले को इस्पात के लिए बड़ी राहत बताते हुए केन्द्र मंत्री ने कहा कि आरसीईपी की मौजूदा व्यवस्थाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री द्वारा इससे बाहर रहने के फैसले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि उसके लिए राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। सरकार का यह फैसला इस्पात क्षेत्र के साथ ही अन्य क्षेत्रों के लिए भी फायदेमंद रहेगा। सरकार के विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाने के हालिया निर्णय पर प्रधान ने कहा कि कारोबार में बने रहना सरकार का काम नहीं है। सार्वजनिक उपक्रमों को अधिक प्रतिस्पर्धी और उत्पादक बनना होगा क्योंकि उनका स्वामित्व देश के आम आदमी के हाथों में है।
इस अवसर पर "भारतीय इस्पात उद्योग की स्थिति" पर एक रिपोर्ट जारी की गई। प्रधान ने इस अवसर पर भारतीय इस्पात संघ द्वारा विभिन्न श्रेणियों में दिए गए पुरस्कार बांटे।