डॉ. हर्षवर्धन ने अभिनव शीतलन समाधान विकसित करने का आह्वान किया

 


 



 


केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने यहां वैश्विक शीलतन पुरस्‍कार के अंतिम दौर में पहुंचने वाले उम्‍मीदवारों की घोषणा करने के लिए आयोजित पुरस्कार समारोह को संबोधित किया। उन्होंने अभिनव शीतलन समाधान विकसित करने का आह्वान किया जो ऊर्जा कुशल हो। समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि ऊर्जा कुशल एवं जलवायु के अनुकूल शीतलन समाधान सरकार की प्राथमिकता है।


मं‍त्री ने कहा, 'हम जलवायु के अनुकूल विकास एवं वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नवाचार की ताकत को पहचानते हैं। उसी के अनुसार हमने अपने अनुसंधान, विकास एवं नवाचार प्रयासों को वैश्विक जलवायु एजेंडा में आगे बढ़ाया है और स्वच्छ ऊर्जा नवाचार में तेजी लाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है ताकि यह नवाचार मिशन यानी मिशन इनोवेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक अभियान में भारत सबसे आगे रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने पेरिस में 2015 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान भारत के एजेंडे को सामने रखा था। उन्‍होंने कहा, 'वास्तव में मिशन इनोवेशन कार्यक्रम श्री नरेन्‍द्र मोदी की परिकल्‍पना थी।'


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दुनिया को आज एक बेहद कुशल शीतलन प्रौद्योगिकी की जरूरत है। यह एक ऐसा समाधान हो जो लगातार बढ़ रहे जलवायु परिवर्तन अथवा महंगी बिजली व्‍यवस्‍था पर बोझ दिए बिना हमारी बढ़ती आबादी की सुगम-शीतलन जरूरतों को पूरा कर सके।


मंत्री ने कहा कि आर्थिक विकास की राह पर अग्रसर और एयर कंडीशनिंग की अपेक्षाकृत कम पहुंच वाले भारत जैसे देश के लिए यह कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि सरकार इस जरूरत को समझती है और वह सभी के लिए तापीय शीलतन उपलब्‍ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा कि इंडिया कूलिंग एक्‍शन प्‍लान में इसे अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है।


डॉ. हर्षवर्धन को उम्मीद जताई कि वैश्विक शीतलन पुरस्‍कार के अंतिम दौर में पहुंचने वाले उम्‍मीदवार ऊर्जा दक्षता एवं लागत कुशल मापदंडों के भीतर जलवायु के अनुकूल शीलतन समाधान का प्रोटोटाइप तैयार करेंगे।


इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि हमारा लक्ष्य कार्बन की मौजूदगी में 80 प्रतिशत तक की कटौती करना और ऊर्जा की खपत को आधे से कम करना है। भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त डोमिनिक एक्विथ ने भी सभा को संबोधित किया।


डॉ. हर्षवर्धन ने समारोह के दौरान वैश्विक शीतलन पुरस्‍कार के अंतिम दौर में पहुंचने वाले आठ उम्‍मीदवारों को पुरस्कृत किया। इनमें दाइकिन एयर कंडीशनिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गोदरेज एंड बॉयस मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनी लिमिटेड और एस एंड एस डिजाइन स्टार्टअप सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं जो तीनों भारत से हैं। जबकि एम2 (स्क्वायर) थर्मल सॉल्यूशंस, ट्रांसएरा इंक और क्रेटन कॉरपोरेशन (आईआईटी बंबई, इन्फोसिस और पोरस लैब्स की साझेदारी में) अमेरिका से हैं। इसके अलावा चीन के झुहाई से ग्री इलेक्ट्रिक अप्‍लाएंसेज इंक और ब्रिटेन से बारोकल लिमिटेड को पुरस्‍कृत किया गया।


आठ चयनित टीमों ने कम अथवा न के बराबर ग्लोबल वार्मिंग संभावित रेफ्रिजरेंट के अनुप्रयोग के साथ वाष्प संपीड़न तकनीक के स्मार्ट, हाइब्रिड डिजाइन से लेकर वाष्‍पीकरणीय शीतलन एवं ठोस अवस्‍था शीलतन तकनीक तक के स्मार्ट, हाइब्रिड डिजाइन तक की व्‍यापक प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया।


भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, अग्रणी वैश्विक अनुसंधान संस्थान रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट  (आरएमआई) और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा नवाचार में तेजी लाने के लिए 24 देशों और यूरोपीय संघ की वैश्विक पहल मिशन इनोवेशन के नेतृत्‍व में एक वैश्विक गठबंधन ने अधिक कुशल एवं जलवायु के अनुकूल आवासीय शीतलन समाधान के विकास को गति देने के उद्देश्य से नवंबर 2018 में वैश्विक शीतलन पुरस्कार शुरू किया था।


शीतलन उद्योग में नवाचार एवं नई प्रौद्योगिकी भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। अध्ययन से पता चलता है कि अत्यधिक गर्मी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्पादकता होने वाला नुकसान 2030 तक 450 बिलियन डॉलर से अधिक हो सकता है। जबकि भारत में एसी का घरेलू उपयोग फिलहाल महज 7 प्रतिशत है। ऐसे में भारत में सुगम शीतलन की मांग से 2050 तक 1 अरब से अधिक एसी कमरे तक होने की उम्मीद है जो 2016 के मुकाबले 40 गुना अधिक है। शीतलन की मांग में उल्‍लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में जहां गर्मी जनित तनाव की समस्या से निपटने की अधिक आवश्‍यकता है।


इस पुरस्कार को अपनी शुरुआत के बाद भारी अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी मिली है। इसके लिए 95 से अधिक देशों के 2,100 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया जिनमें इनोवेटर, स्टार्ट-अप, अनुसंधान संस्थान, विश्वविद्यालय और एयर कंडीशनिंग उद्योग के प्रमुख विनिर्माता शामिल हैं। इन पंजीकृत संस्थाओं में से 445 टीमों ने अपने प्रारंभिक विचार प्रस्‍तुत किए और दुनिया भर के 31 देशों की 139 टीमों ने विस्तृत तकनीकी अनुप्रयोग प्रस्तुत किया। अगले दौर में जाने के लिए चुनी गई टीमों को अपने प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए 200,000 अमेरिकी डॉलर से सम्मानित किया जाएगा जिसका परीक्षण 2020 की गर्मियों में भारत में किया जाएगा।


वैश्विक शीतलन पुरस्कार के विजेता की घोषणा नवंबर 2020 में की जाएगी और पुरस्कार राशि में 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि प्रदान की जाएगी।