केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन और परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 31 अक्टूबर को दो केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अस्तित्व में आने के बाद भारत सरकार की पहल पर आयोजित यह अपने प्रकार का पहला सम्मेलन है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इन दो केन्द्र शासित प्रदेशों में शुरू की जाने वाली गतिविधियों की रूपरेखा की झलक दिखाएगा।
मंत्री ने कहा कि भविष्य में सरकार इस तरह के कार्यक्रमों की एक श्रृंखला तैयार करेगी। वह जम्मू में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में देश के अन्य हिस्सों के समान सुशासन के बेहतर तौर-तरीकों को लागू करने के विषय पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का आयोजन प्रशासनिक सुधार एवं लोक प्रशासन विभाग (डीएआरपीजी), भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा जम्मू-कश्मीर सरकार एवं लद्दाख सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का ध्यान कम विकसित राज्यों को विकास के मोर्चे पर भारत के अन्य हिस्सों के करीब लाने पर है। उन्होंने कहा कि यदि विकास की यात्रा में कुछ हिस्से पीछे रह जाते हैं तो राष्ट्र का समग्र विकास नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में हर महीने चक्रीय आधार पर शिविर सचिवालय आयोजित किए जा रहे हैं जिसे 'डोनर एट डोरस्टेप' कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए कई अन्य पहल भी की है जैसे वहां बैम्बू पार्क और सिट्रस फ्रूट पार्क की स्थापना।
उन्होंने कहा कि काफी पुराने भारतीय वन अधिनियम में संशोधन किया गया ताकि गैर-वन क्षेत्रों में उगने वाले बांस को 'वृक्ष' की परिभाषा से छूट अलग रखा जा सके। इससे आर्थिक उपयोग के लिए बांस की कटाई के लिए परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों से युवाओं के पलायन को रोकने और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा वेंचर फंड प्रदान किया गया है।
मंत्री ने कहा कि इस विकास मॉडल को नए केन्द्र शासित प्रदेशों में दोहराया जाना चाहिए। उन्होंने केसर, बांस और पश्मीना के लिए इसी तर्ज पर पार्क स्थापित करते हुए जम्मू-कश्मीर की आर्थिक क्षमता को भुनाने पर जोर दिया। उन्होंने लद्दाख में फूड प्रोसेसिंग पार्क स्थापित करने की संभावना के बारे में भी बताया। मंत्री ने कहा कि हमें जम्मू-कश्मीर को देश के अन्य हिस्सों की तरह समान अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद ऐसे तमाम अवसर अब यहां भी उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि देश भर में सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते अब इन केन्द्र शासित प्रदेशों में भी उपलब्ध होंगे और देश के अन्य हिस्सों में लागू कई कानून अब यहां भी लागू होंगे। उन्होंने बदलती अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए कार्य संस्कृति में बदलाव लाने पर जोर दिया। उन्होंने यहां युवाओं के लिए उपलब्ध अन्य अवसरों के बारे में बताते हुए कहा कि चिकित्सा संस्थानों की स्थापना के साथ शैक्षिक एवं रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को दो एम्स होने का गौरव प्राप्त है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आगे कहा कि महज राजस्व अधिकारियों से लेकर विकास अधिकारियों तक की वर्षों की यात्रा में सिविल सेवकों की भूमिका विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ-साथ हमें सुशासन के तौर-तरीकों को दोहराने और उन अच्छी चीजों को सीखने की जरूरत है जिन पर पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमने ध्यान नहीं दिया है। मंत्री ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 में पदभार संभाला था तो उन्होंने 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' का मंत्र दिया था और कहा था कि अधिकतम शासन अनिवार्य तौर पर अधिक पारदर्शिता लाएगा।
उन्होंने विभिन्न उदाहरणों का हवाला दिया जैसे निचले स्तर के पदों पर साक्षात्कार को जनवरी 2016 से खत्म करना, लगभग 1,500 अप्रचलित नियमों को निरस्त करना और राजपत्रित अधिकारियों द्वारा सत्यापन की आवश्यकता को खत्म करना। उन्होंने कहा कि शासन में सभी स्तरों पर नागरिकों की उत्तरोत्तर बढ़ती भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया है जो नागरिकों को कहीं भी, किसी भी समय और किसी को भी जानकारी प्रदान करता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार के तहत शिकायत निवारण पोर्टल अधिक सक्रिय एवं जवाबदेह बन गया है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास दर्ज शिकायतों में 8 गुना वृद्धि हुई है जो शुरुआत में लगभग 2 लाख थी और वर्तमान में लगभग 16 लाख है। मंत्री ने कहा कि ऐसा सरकार में नागरिकों के विश्वास के कारण हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि विभाग में एक फीडबैक प्रणाली स्थापित की गई है जिसके तहत वरिष्ठ अधिकारी और मंत्री खुद टेलीफोन के जरिये उन नागरिकों से संतुष्टि की जानकारी लेते हैं जिनकी शिकायतों को डीएआरपीजी द्वारा निपटाया गया है। मंत्री ने कहा कि डीएआरपीजी दिल्ली के बाहर क्षेत्रीय सम्मेलनों का आयोजन करता रहा है जिनमें शिलॉन्ग, गुवाहाटी और जम्मू सहित आदि क्षेत्रों में आयोजित सम्मेलन शामिल हैं।
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार गरीबों के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं और जनधन योजना एवं आयुष्मान भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रम लोगों को जमीनी स्तर पर लाभ पहुंचाने के लिए शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा प्रौद्योगिकी के इष्टतम उपयोग पर जोर दिया है। उन्होंने इस संबंध में ईओ ऐप का उदाहरण दिया।
उन्होंने सरकार की अन्य पहल के बारे में बताते हुए कहा कि पीएम उत्कृष्टता पुरस्कारों का पूरा प्रारूप अब बदल गया है और सिविल सेवकों को प्रमुख कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए सम्मानित किया जा रहा है। हाल के वर्षों में इसमें कम विकसित जिलों की बड़ी भागीदारी देखी गई है। उन्होंने केन्दीय मंत्रालयों और विभागों में सहायक सचिव के रूप में युवा आईएएस अधिकारियों को नियुक्त करने और अफसरशाही में लेटरल एंट्री का भी उल्लेख किया। मंत्री ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता के साथ-साथ सरकार का उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना भी है।
मंत्री ने कहा कि आज की बदलती मांगों के अनुरूप कार्य संस्कृति को भी बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सभी निर्णय लेने के लिए केन्द्र द्वारा गंभीर निर्देश दिए गए हैं क्योंकि इससे चीजें अकल्पनीय तरीके से सामने आएंगी। उन्होंने लोगों को गलत धारणाओं को प्रचारित करने से बचने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में यह वर्ष सबसे शांतिपूर्ण त्योहारी सीजन रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं की आकांक्षाएं हमारे लिए लिटमस परीक्षण हैं जिन्हें सरकार सुगम बनाएगी।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जी. सी. मुर्मू ने कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को नए अवसर मिले हैं और हमें इन नई चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और सरकार वह एजेंट है जो नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करती है। उन्होंने कहा कि कई पुरातन कानून एवं प्रक्रियाएं अभी भी मौजूद हैं और बदलते समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए उन पर नए सिरे से गौर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी हमें विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगी। उन्होंने आगे कहा कि स्थायी शासन के लिए लोगों की भागीदारी, जागरूकता और सशक्तिकरण बेहद जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि 73वें और 74वें संशोधन को पत्र और भावना दोनों स्तर पर अवश्य लागू किया जाना चाहिए।
लद्दाख के उपराज्यपाल आर. के. माथुर ने एक वीडियो संदेश में कहा कि इस सम्मेलन का आयोजन बिल्कुल सही समय पर किया गया है क्योंकि दोनों केन्द्र शासित प्रदेश एक नई राह पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री के न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। उन्होंने खुशी जताई कि सम्मेलन में 19 राज्य और 4 केन्द्र शासित प्रदेश भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके सामूहिक सीख और सामूहिक ज्ञान से दोनों केन्द्र शासित प्रदेशों को फायदा होगा।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग में सचिव डॉ. सी. चंद्रमौलि ने कहा कि सरकार का मंत्र 'सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन' है। उन्होंने कहा कि हमें मौजूदा प्रक्रियाओं में सुधार करके बदलाव लाने की जरूरत है। इस परिवर्तन का उद्देश्य भारत के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करना है। अब अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार के साथ हमारी भूमिका एक समन्वयक की हो गई है। उन्होंने दो बातों पर जोर दिया यानी कारोबारी सुगमता और लोगों के लिए जीवनयापन की सुगमता। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन एक-दूसरे से सीखने का मंच है और यह प्रतिभागियों को परस्पर लाभान्वित करेगा।
जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अपार संभावनाएं मौजूद हैं और यह कार्यशाला उन संभावनाओं को भुनाने की महज एक शुरुआत है। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ सुशासन की परिभाषा बदल गई है और जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद सुशासन पहली प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर द्वारा 8 सूत्री रणनीति लागू गई है जिसमें जमीनी संस्थानों को सशक्त बनाना, विकास कार्यक्रमों को गति देना, बुनियादी ढांचे का निर्माण करना, सुशासन को मजबूत बनाना, उद्यमिता को प्रोत्साहित करना, रोजगार सृजित करना, सामाजिक समावेश को व्यापक बनाना और विकास को बढ़ावा देना शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि काफी लंबे अंतराल के बाद जम्मू-कश्मीर में इस तरह का सम्मेलन आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ सुशासन का दायरा बढ़ा है क्योंकि नागरिकों की अपेक्षाएं लगातार बदल रही हैं। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत कानून का शासन लागू करने, कानून-व्यवस्था बनाए रखने एवं संकट की स्थिति से निपटने, नागरिकों को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने से लेकर जन कल्याण तक हुई और अब नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए उसका दायरा कहीं अधिक व्यापक हो गया है।
उन्होंने कहा कि सुशासन के बदलते दायरे के साथ ही प्रशासकों के लिए आवश्यक कौशल में भी बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा कि इसे नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए लगातार सीखने और कौशल बढ़ाने से हासिल किया जा सकता है। सुब्रमण्यम ने जोर देकर कहा कि तकनीकी के आने से जवाब देने का समय कम हुआ है और इसलिए नागरिकों की अपेक्षाओं पर तेजी से प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है।
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में डीएआरपीजी में अतिरिक्त सचिव वी श्रीनिवास ने कहा कि विभाग जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ व्यापक संपर्क में है। डीएआरपीजी ने इस वर्ष अगस्त से अब तक तीन प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर भेजे हैं। उन्होंने कहा कि डीएआरपीजी द्वारा जम्मू में 2 बड़े क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। पहला आज सुशासन व्यवस्था के तौर-तरीकों पर और दूसरा 30 नवंबर से 1 दिसंबर को 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' विषय पर जिसमें जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में प्रचलित शासन की सर्वोत्तम प्रथाओं को जम्मू-कश्मीर में लागू किया जाएगा।
दिन के आरंभ में जम्मू-कश्मीर के वित्त विभाग के वित्तीय श्री अरुण कुमार मेहता ने 'सार्वजनिक नीति एवं शासन' विषय पर उद्घाटन पूर्व सत्र की अध्यक्षता की। दोपहर के भोजन के बाद के सत्र के दौरान दी गई प्रस्तुतियों में 'डिजिटल गवर्नेंस', 'सिटिजन सेंट्रिक गवर्नेंस' और 'एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट' जैसे विषय शामिल थे। दूसरे दिन की प्रस्तुतियों में 'सिलेक्ट इनिशिएटिव' और 'कैपिसिटी बिल्डिंग एंड पर्सनल एडमिनिस्ट्रेशन' जैसे विषय शामिल हैं। समापन सत्र में 'सुशासन संकल्प: जम्मू घोषणा' को लागू किया जाएगा।
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य डिजिटल गवर्नेंस, सिटिजन सेंट्रिक गवर्नेंस एंड कैपेसिटी बिल्डिंग और पर्सनेल एडमिनिस्ट्रेशन आदि विषय पर अनुभव साझा करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के संगठनों को एक ही मंच पर लाना है। इस सम्मेलन में 19 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। विभाग ने अब तक 31 क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए हैं। यह सम्मेलन ई-गवर्नेंस, पारदर्शी, जवाबदेह एवं नागरिक-हितैषी प्रभावी प्रशासन के माध्यम से नागरिक केंद्रित शासन में सर्वोत्तम प्रथाओं के निर्माण एवं कार्यान्वयन में अनुभव साझा करने के लिए एक साझा मंच तैयार करने का एक प्रयास है।