डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने एम्स-ओर्बो कार्यक्रम में अंग दानदाताओं का सम्मान किया

रिपोर्ट : अजीत कुमार


 



 


अंगदान को अनेक ज़िंदगियां बचाने की शक्तियां रखने वाला दैवीय एवं ईश्वरीय कार्य बताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने सभी से अंगदान करने का अनुरोध किया ।“अंगदान करने वाले लोगों के परिवार साहसी होते हैं जो ऐसा निर्णय एक ऐसे समय लेते हैं जो उनके तथा उनके करीबियों व प्रियजनों के लिये भावनात्मक रूप से बेहद दर्दनाक होता है । उन सभी को मेरा हृदय से सलाम।” डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने यह बातें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गेनाइज़ेशन द्वारा आयोजित अंगदाता सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए, खेल एवं युवा मामले तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्यमंत्री किरण रिजिजू, राज्यसभा सांसद मैरी कॉम एवं सुप्रसिद्ध गायक मोहित चौहान की उपस्थिति में कही। 


केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने सम्मान समारोह को हृयस्पर्शी बताते हुए कहा कि “मुझे नहीं याद कि मैं ऐसे किसी कार्यक्रम में शामिल हुआ हूं जो हृदय को इतना अधिक छूने वाला रहा हो।”उन्होंने ऐसे परिवारों की इच्छाशक्ति एवं साहस की प्रशंसा की एवं अंगदाताओं को ऐसी महान आत्माएं बताया जो हमारे साथ बनी रहती हैं। उन्होंने आगे कहा कि “अपने निस्वार्थ कार्य के ज़रिए इन लोगों ने वह कर दिखाया है जो अनेक सरकारें मिल कर नहीं कर सकती।”यह लोग जिन्होंने अपने परिजनों के अंगों को दान किया है वह लोग हैं जिन्होंने समाज के लिये प्राथमिक तौर पर कार्य किया है।


डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने कहा कि इन लोगों ने अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी को निभाया है एवं हम में से लाखों लोगों को अंगदान चुनने के प्रति प्रेरित किया है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “एक दानदाता 7 से 8 मरीजों की ज़िंदगियां बचा सकता है एवं 40 से 50 लोगों की जिंदगी के स्तर में सुधार ला सकता है।” उन्होंने सलाह दी कि हमें लोगों, परिवारों एवं सस्थाओं को मृत्यु के पश्चात अंगदान करने की शपथ लेने के लिये तथा अंगदान की महत्ता के बारे में जागरूकता फैलाने के प्रति प्रेरित करना होगा।


उन्होंने कहा कि “लोगों के दिमाग़ में अंगदान के बारे में जागरूकता की कमी है, मिथ्या धारणाएं एवं भय फैला हुआ है।” ओर्बो की गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने कहा कि “आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से एक कॉर्निया का दानदाता चार तक लोगों को दृष्टि प्रदान कर सकता है। त्वचा के ऊतकों का प्रयोग आग से जले रोगियों की सहायता करने में किया जाता है। दान दी गई हड्डियों का प्रयोग ट्यूमर, आघात एवं संक्रमण से क्षरित हड्डियों में किया जाता है। इससे अंगों को विच्छेदन से बचाया जा सकेगा।” डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने एक युवा अंगदाता सुरभि की कहानी भी साझा की जिसने 2014 में अनेक रोगियों को अपने अंग प्रदान किये थे। उन्होंने बताया कि उसके कार्य का सम्मान करने के लिये ओर्बो ने उसकी स्मृति में एक पट्टिका लगाई है।


खेल एवं युवा मामले तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि जहां अनेक लोग अंगदान के बारे में सोचते हैं, कम ही लोग इसके लिये राज़ी हो पाते हैं। उन्होंने अंगदाताओं के परिवारों के प्रति गहरा सम्मान दर्शाते हुए आगे कहा कि “यह ऐसा कार्य है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद भी जीवित बना रहता है।” उन्होंने इस मुद्दे पर व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलाने की महत्ता को रेखांकित किया ताकि यह हमारे देश में एक नियमित प्रक्रिया बन पाए।


राज्यसभा की सांसद तथा भारतीय ओलम्पिक मुक्केबाज़ मैरी कॉम ने कहा कि “मैं अन्य लोगों को जिंदगी देने वाले इन साहसी लोगों तथा इनके परिजनों को सलाम करती हूं। उन्होंने अपने अमूल्य त्याग की बदौलत हमारे संसार एवं ज़िंदगियों को बेहतर बनाया है।” उन्होंने लोगों को अंग दान करने के प्रति प्रोत्साहित किया। उन्होंने आगे कहा कि इसने उन्हें इस क्षेत्र में कुछ करने के प्रति प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि वह यह महसूस करती हैं कि वह अंग दान के साथ जीवन जी सकती हैं।


डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने किरण रिजिजू तथा मैरी कॉम के साथ अनेक अंग दान करने वाले 38 अंगदाताओं, चिकित्सा शिक्षा हेतु समस्त शरीर का दान करने वाले 5 अंगदाताओं तथा हृदय गति रुकने से मृत्यु होने के बाद विभिन्न ऊतक दान देने वाले 8 दाताओं के परिजनों को सम्मानित किया। अंग प्रत्यारोपण का लाभ पाने वाले लोग भी इस समारोह के दौरान उपस्थित थे एवं उन्होंने अंगदाताओं के परिजनों के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट की।


ओर्बो (ओआरबीओ) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का शवों से अंगों की प्रप्ति तथा अंग प्राप्त करने वालों में प्रत्यारोपित किये जाने तक अंगों तथा ऊतकों का प्रत्यारोपण करने वालामुख्य सुविधा केंद्र है। ओर्बो अंगों तथा ऊतकों के क्षेत्र में दान तथा प्रत्यारोपण संबंधी प्रशिक्षण देने तथा इस बारे में जागरूकता का प्रसार करने में भी सक्रिय रहा है। दिमाग़ी मौत होने वाले दानदाताओंसे अंग प्राप्ति करने के अतिरिक्त ओर्बो हृदयाघात वाले दानदाताओं से अंगों तथा ऊतकों की प्राप्ति का संचालन भी करता है।


इस कार्यक्रम में अंग प्रत्यारोपण करने वाली टीम के सदस्य, दिमाग़ी मौत प्रमाणन समिति के सदस्य, फैकल्टी सदस्य, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के स्थानिक डॉक्टर, प्रत्यारोपण समन्वयक, नर्सिंग अधिकारी एवं एम्स के स्टाफ सदस्य भी उपस्थित थे ।