केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरस आईआईटीएफ 2019 का उद्घाटन किया

रिपोर्ट : अजीत कुमार


 



 


केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रगति मैदान में सरस आईआईटीएफ मेला 2019 का उद्घाटन किया। उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए, उन्‍होंने मेले में भाग लेने वालों को बधाई तथा शुभकामनाएं दी। तोमर ने कहा कि स्वयंसहायता समूहों (एसएचजी) की दीदियों में पर्याप्‍त सकारात्मक ऊर्जा और इच्छा शक्ति है। जिसका राष्ट्र की प्रगति के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। तोमर ने कहा कि ये दीदियां न केवल अपने घरों या परिवारों की स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि राष्ट्र की प्रगति और विकास में भी योगदान दे रही हैं।


तोमर ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दो बहुत महत्वपूर्ण बातों पर जोर दिया है इनमें एक है स्‍वयंसहायता समूह के माध्‍यम से महिलाओं का सशक्तीकरण और दूसरा है देश से गरीबी को हटाना। एसएचजी की बहनें इन दोनों लक्ष्यों को पूरा करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। तोमर ने यह भी कहा कि प्रधान मंत्री द्वारा निर्धारित 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्‍य सभी क्षेत्रों की प्रगति से अर्जित किया जायेगा लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि एसएचजी इस बारे में एक महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय भूमिका निभाएंगे। उन्‍होंने कहा कि देश की प्रगति और विकास के लिए महिलाओं और पुरुषों का साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है और सरकार अपने नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं के जीवन में सुधार लाने और उन्हें आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए समर्पित रूप से काम कर रही है।


ग्रामीण विकास राज्य मंत्री निरंजन ज्योति ने भी इस आयोजन में विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया और सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरस ने बहनों को प्रोत्‍साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी कहा कि एसएचजी की महिलाओं को दीदी कहते हैं। ये महिलाएं अपने कमाए धन से घर चलाती हैं, और भविष्य के लिए बचत भी करती हैं जो अपने आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। रामचरितमानस की चौपाइयों का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि ये दीदियां देश में अन्‍य महिलाओं को आत्‍मनिर्भर और प्रगतिशील बनाने के लिए प्रेरित करती हैं।


ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अमरजीत सिन्‍हा ने कहा कि सरस आईआईटीएफ मेला अपने नाम को अच्‍छा बनाने में समर्थ रहा है और जो लोग व्‍यापार मेला देखने आते हैं वे सरस के स्‍टॉल भी देखते हैं। उन्‍होंने कहा कि अनेक दीदियां अपने उत्‍पाद बेचने के लिए इस मेले में आती हैं और अपनी वित्‍तीय स्थिति में सुधार कर रही हैं। इनकी वित्‍तीय स्थिति में इस सकारात्‍मक परिवर्तन से ग्रामीण भारत का स्‍वरूप बदलने और इसे अधिक प्रगतिशील बनाने में मदद मिलेगी।


उन्‍होंने भीड़ में एसएचजी की दीदियों से हाथ उठवाकर पूछा कि क्‍या वे पहली बार दिल्‍ली आई हैं। अनेक महिलाओं ने अपने हाथ उठाये। जो इस आयोजन की महत्‍वपूर्ण प्रभावशीलता को दर्शाता है। यह आयोजन एसएसजी की महिलाओं को ना केवल सक्रिय मंच उपलब्‍ध कराता है बल्कि उन्‍हें धन कमाने, स्‍वतंत्रता और अनुभव प्राप्‍त करने का मौका भी प्रदान करता है जिससे उन्‍हें अपने उत्‍पाद को बेचने और अंतत: अपने लिए एक ब्रॉन्‍ड नाम विकसित करने में मदद मिलेगी।