केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने दिल्ली में सीबीएसई की स्थापना का 90 वां दिवस मनाया

 


 



 


नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सीबीएसई की स्थापना का 90 वां दिवस और सहोदया स्कूल कॉम्प्लेक्स की 25 वीं वर्षगांठ को मनाया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' मुख्य अतिथि थे। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे, सचिव, स्कूली शिक्षा और साक्षरता अमित खरे, अध्यक्ष, सीबीएसई अनीता करवाल भी इस अवसर पर मौजुद थे।


इस अवसर पर बोलते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने एक ही छत के नीचे स्कूल के कई नेताओं को लाने के लिए सीबीएसई की सराहना की। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानों पूरा देश शिक्षा का उत्सव मनाने के लिए आया हुआ था। महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती, सीबीएसई का 90 वां स्थापना वर्ष और सहोदया का 25 साल पूरे होने का उत्सव देश के लिए अच्छे परिणामों को लाने के लिए बाध्य है।


मंत्री ने सीबीएसई द्वारा न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में उसके द्वारा किए गए कार्यों की सराहनीय की। उन्होंने याद किया कि कैसे कुछ दिनों पहले जब वे भारतीय दौरे पर आए जर्मनी के प्रतिनिधियों के साथ थे, तो वे लोग महात्मा गांधी के कार्यों और उपलब्धियों से बहुत प्रभावित दिख रहे थे और उन्होंने दावा किया था कि आज के समय में दुनिया को वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए गांधी जैसे करिश्माई व्यक्तित्व की आवश्यकता है।


मंत्री ने उपस्थित लोगों से कहा कि सभी उपस्थित प्रधानाध्यापकों के अंदर अपने विद्यालयों के प्रति अनुरागी दृष्टिकोण व्याप्त रहा है। उन्होंने उपस्थित हुए प्रत्येक व्यक्तियों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना भी किया। उन्होंने कहा कि, एक बच्चा, एक कोरे कागज के समान होता है, और उन्होंने नेताओं से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उस शुद्ध कागज के टुकड़े पर जो भी लिखा जाए वह अच्छी तरह से लिखा जाए और वह बच्चों और राष्ट्र के निर्माण के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करने में मदद करने वाला हो।


नई तालीम पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि गांधीवादी मूल्य एक मार्गदर्शक शक्ति हैं और ये परिवर्तन के अग्रदूत साबित होंगे। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' को शामिल करने पर बल दिया, जिसे बच्चों, अभिभावकों, स्कूलों और प्रबंधनों के मूल्य प्रणाली में आत्मसात किया जाना चाहिए। रमेश पोखरियाल ने सीबीएसई को दुनिया के ऐसे पहले शिक्षा प्रणालियों में शामिल होने के लिए बधाई दिया जिसने स्कूली स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक विषय के रूप में प्रस्तुत किया है, भले ही पायलट स्तर पर ही सही।


राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने अपने संबोधन में, सीबीएसई को उनके कार्यक्रमों और पहलों के माध्यम से छात्रों के बीच शारीरिक, मानसिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक विकास के लिए समग्र उत्थान करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि नई तालीम, सभी कमजोर लोगों को आगे बढ़ाने और समावेशी विकास को विकसित करने की विचारधारा पर टिका हुआ है और नैतिक विकास और चरित्र निर्माण अच्छी शिक्षा का एक अभिन्न अंग है।


सीबीएसई की स्थापना के 90 वें वर्ष को मनाने के लिए, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सीबीएसई की यात्रा का एक संस्मरण पत्र जारी किया गया। सीबीएसई में होने वाले विभिन्न गतिविधियों की जानकारी देने के लिए बोर्ड ने शिक्षकों और छात्रों के लिए 3 और पुस्तकें भी जारी की। दिल्ली एनसीआर के सीबीएसई और सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स, 'नई तालीम- एक सतत भविष्य' की थीम पर 1 और 2 नवंबर को दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं।


केंद्रीय मंत्री पोखरियाल ने एक कॉफी टेबल बुक 'CBSE @ 90' को जारी किया। मंत्री के द्वारा सीबीएसई और एडोब द्वारा डिजाइन किए गए एक डिजिटल कला चुनौती को एक खुले और रचनात्मक चुनौती के रूप में घोषित किया गया। पोखरियाल ने 'ट्रांसफॉर्मेशन एंड इंगेजमेंट' नामक एक पुस्तक का विमोचन भी किया, जो कि निबंधों का संकलन है, और जिसे स्प्रिंगडेल्स स्कूल की प्रिंसिपल सुश्री अमिता वतल द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इस किताब का ई-बुक संस्करण भी जारी किया गया है।


यह सम्मेलन विभिन्न हितधारक समूहों के प्रख्यात वक्ताओं को एक साथ लेकर लाया। इस विविधता दृष्टिकोण से भरी कार्यवाही के दौरान दिलचस्प बहसें और चर्चाएं भी हुई।


इस अवसर पर विभिन्न जाने पहचाने वक्ताओं का जमावड़ा था, जैसे प्रों गोविंदा, प्रों पूनम बत्रा, डॉं स्वरूप रावल, सिस्टर शिवानी, राजीव मेहरोत्रा, डॉ. आंचल भगत, मेजर डी पी सिंह, प्रो महेश रंगराजन और कई अन्य लोगों ने इस अवसर पर अपने विचारों को साझा किया। इस कार्यक्रम में भाग लेने 1,400 से भी ज्यादा सीबीएसई स्कूलों के प्रिंसिपल आए थे जो कि भारत के साथ-साथ दुनिया के विभिन्न कोनों में अवस्थित सीबीएसई स्कूलों में कार्यरत हैं।