स्कूली बच्चों में फिटनेस की आदत डालने के उद्देश्य से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड फिट इंडिया मूवमेंट के अंतर्गत नवंबर के दूसरे और तीसरे सप्ताह में फिटनेस सप्ताह मनाएगा। फिटनेस सप्ताह का उद्देश्य स्कूली बच्चों को 'पेसिव स्क्रीन टाइम' के स्थान पर 'एक्टिव फील्ड टाइम' बिताने के लिए उनमें व्यवहारिक बदलाव लाना है यानि वे कंप्यूटर स्क्रीन से हटकर खुले मैदान में जा सके। इस तरह के पहले प्रयास में देशभर के 22 हजार सीबीएसई स्कूलों की भागीदारी देखने को मिलेगी।
इस पहल की सराहना करते हुए केंद्रीय युवा कार्य और खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई है कि सीबीएसई ने अपने सभी सम्बद्ध स्कूलों में फिटनेस सप्ताह मनाने का फैसला किया है। फिट इंडिया मूवमेंट, जिसकी कल्पना माननीय प्रधानमंत्री ने की, आज की जरूरत है और हमें शुरूआती उम्र से ही भारतीयों में फिटनेस की आदत डालने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए। खेल मंत्रालय सभी राज्य सरकारों के शिक्षा विभागों के साथ बातचीत कर रहा है और अब जल्द ही नवंबर के अंतिम सप्ताह में देशभर के स्कूलों के फिटनेस सप्ताह मनाने की योजना को अंतिम रूप देंगे।”
फिटनेस सप्ताह के दौरान 6 दिन के कार्यक्रम में बच्चों की शारीरिक और मानसिक फिटनेस आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाएगा और इसके अलावा योग जैसे शारीरिक व्यायाम और डांस, एरोबिक्स और बागबानी जैसे फिटनेस के दिलचस्प रूप शामिल है। फिटनेस में प्रत्येक राज्य के देसी खेलों जैसे गुजरात के कौड़ी, तमिलनाडु के सिलमबम (एक तरह का मार्शल आर्ट), जम्मू-कश्मीर के बेंटे, पंजाब के गुल्ली डांडा, केरल के पंबाराम को बच्चों के फिटनेस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। चरित्र निर्माण और ऑफ-फील्ड तनाव प्रबंधन में खेलों के महत्व के बारे में बच्चों को जानकारी देने के लिए खेल मनोवैज्ञानिकों के व्याख्यानों को शामिल किया गया है। माता-पिता और अध्यापक एक-दूसरे के साथ और छात्रों के साथ देसी खेलों में प्रतिस्पर्धा करेंगे और सप्ताह के दौरान प्रत्येक स्कूल में फिटनेस गतिविधियों में भी भाग लेंगे।
सीबीएसई ने भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा विकसित किए गए खेलों इंडिया मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करते हुए 5 वर्ष से 16 वर्ष की आयु के फिटनेस स्तर का आकलन करने का निर्णय किया है। यह ऐप विभिन्न आयु वर्गों का फिटनेस परीक्षण करता है जिससे लचीलेपन, उनकी मूल ताकत और छात्रों की फुर्ती जैसे पहलुओं का पता लगाने में मदद मिलती है, इसके स्कोर के आधार पर उन छात्रों की पहचान की जा सकती है, जो पेशेवर स्तर पर खेल सकते हैं।