मानव संसाधन विकास मंत्री ने पेरिस में शिक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की

 


 



 


मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने पेरिस में 13 नवंबर, 2019 को नॉर्वे, बांग्लादेश, मैक्सिको, थाइलैंड और मलेशिया के शिक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। यह बैठक पेरिस में आयोजित 40वें यूनिस्को आम सम्मेलन से इतर की गई।


नॉर्वे की शोध एवं उच्च शिक्षा मंत्री इसेलिन नायबो के साथ बैठक के दौरान पोखरियाल ने शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच भावी द्विपक्षीय सहयोग पर विचार-विनिमय किया। पोखरियाल ने कहा कि भारतीय शिक्षा संस्थानों और नॉर्वे के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोगी अनुसंधान की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। पोखरियाल ने नॉर्वे की मंत्री को 2020 में भारत आने का न्यौता दिया।


पोखरियाल ने पेरिस में यूनिस्को मुख्यालय में बांग्लादेश की शिक्षा मंत्री डॉ. दीपू मोनी से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बंधों को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपसी सहयोग को नई ऊंचाईयां देने के लिए शिक्षा क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। डॉ. मोनी ने कहा कि बदलते माहौल में भारत और बांग्लादेश के सामने समान चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, भारत के आईआईटी और आईआईएम जैसे उच्च संस्थानों के साथ सहयोगी अनुसंधान करने का इच्छुक है।


पोखरियाल ने मैक्सिको के शिक्षा मंत्री इस्तेबान मोक्टेजुमा बारागन के साथ दोनों देशों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए विस्तृत चर्चा की। उन्होंने मैक्सिको में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक सम्मेलन में भारत को मेहमान देश के रूप में आमंत्रित करने के लिए उनका धन्यवाद किया। इस अवसर पर पोखरियाल ने कहा कि मैक्सिको के छात्र योग, आयुर्वेद, हिन्दी, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं तथा भारतीय दर्शन का अध्ययन करने के लिए भारत आएं। इस्तेबान मोक्टेजुमा बारागन ने कहा कि भारत और मैक्सिको में शैक्षिक चुनौतियां एक सी हैं और दोनों देशों को शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग के लिए काम करना चाहिए।


पोखरियाल ने थाइलैंड के शिक्षा मंत्री नाताफोल टीपसुवान के साथ भी मुलाकात की और उन्हें भारत में अध्ययन कार्यक्रम की जानकारी दी। यह भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है, जिसके तहत थाइलैंड के छात्र भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश लेते हैं। इस कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत फीस माफ की जाती है और प्रतिभाशाली अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।


पोखरियाल ने मलेशिया के शिक्षा मंत्री डॉ. मज़ली मलिक से मुलाकात की और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स (जीआईएएन) में हिस्सा लेने का आग्रह किया।


पोखरियाल ने उच्च शिक्षा सम्बंधी मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने देश की विविधता का विशेष ध्यान रखते हुए कहा है कि शिक्षा के जरिए इस विविधता को सुरक्षित बनाया जाए और उसे आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि 33 वर्षों बाद नई शिक्षा नीति तैयार की गई है, जिसके तहत हमने छात्रों की क्षमताओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखा है, ताकि समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जा सके।


पोखरियाल ने कहा कि सीखने की प्रक्रिया में अध्यापक अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। इसके मद्देनजर भारत ने 'निष्ठा' नामक विश्व का सबसे बड़ा अध्यापक शिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। निशंक ने कहा कि हम भारतीय उच्च शिक्षा नीति की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा 'स्वयंप्रभा' और 'स्वयं' पोर्टल के जरिए भारतीय छात्रों के अलावा विदेशी छात्रों को भी उच्च शिक्षा देने के लिए दृढ़ हैं। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के छात्रों को आकर्षित करने के लिए हमने 2018 में 'स्टडी इन इंडिया' कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत 2500 छात्रवृत्तियां दी जा रही हैं।


उन्होंने बताया कि संपर्क योजना सफलतापूर्वक चलाई जा रही है, जो विश्व के उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ सहयोग करके अकादमिक अनुसंधान को नई गति दे रही है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के जरिए सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। जीआईएन योजना के तहत दुनिया की प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थानों की फैकल्टी भारतीय शिक्षा संस्थानों का दौरा करती है। इसे ध्यान में रखते हुए उच्च शिक्षा संस्थानों में अकादमिक सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। ये सभी कार्यक्रम यूनिस्को के सतत विकास लक्ष्य 4.5 और 4 (बी) के अनुरूप हैं।


निशंक ने आशा व्यक्त की कि इस मंत्रिस्तरीय बैठक से यूनिस्को सदस्य देशों के उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच छात्रों और फैकल्टी के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन मिलेगा तथा रणनीतियों के विकास में मदद मिलेगी।