महिला वैज्ञानिकों और उद्यमियों के सम्मेलन में विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए नेटवर्किंग के महत्व को उजागर किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन आज कोलकाता में भारतीय अतंर्राष्ट्रीय विज्ञान समारोह (आईआईएसएफ) 2019 के अंतर्गत किया गया।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने अपने भाषण में विभिन्न प्रकार की नेटवर्किंग की जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार विज्ञान और विज्ञान आधारित उद्यम से महिलाएं लाभान्वित हो सकती है।
डीएसटी के सहयोग वाले डब्ल्यूईई (महिला उद्यमिता और सशक्तिकरण) फाउंडेशन जैसे संगठन के सहयोग से किए जा रहे उद्यम संबंधी प्रयासों की चर्चा करते हुए प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि किसी को भी समस्याओं के बारे में केवल बातचीत करने के बजाय समस्याओं और उनके समाधान के बारे में पूरी तरह स्पष्ट नजरिया रखना चाहिए। अनुसंधान में महिलाओं की भागीदारी को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न साझेदारों के हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने विज्ञान ज्योति जैसी डीएसटी की योजनाओं की चर्चा की जिनका लक्ष्य आईआईटी जैसी शीर्ष प्रतिष्ठित संस्थानों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना है।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग में सचिव और सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे ने भी अपने संबोधन में दर्शकों को प्रोत्साहित किया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य युवा महिला वैज्ञानिकों को उभरते भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की अग्रणी महिलाओं के साथ चर्चा कराना था। यह निरंतर विकास की दिशा में महिलाओं के योगदान को स्वीकृति प्रदान करने का एक प्रयास है।
विभिन्न सत्रों में जानी-मानी महिला वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने विशिष्ट सांस्कृतिक और वित्तीय चुनौतियों का जिक्र किया जो महिलाओं को शीर्ष संस्थानों तक पहुंचने से रोकती है।
सम्मेलन के प्रतिनिधि सीकर, राजस्थान की एक किसान सरिता देवी जैसी रोल मॉडलों की उपस्थिति से प्रेरित हुए जिन्होंने एक एकड़ जमीन से सफलतापूर्वक करीब 25 लाख रूपये लाभ प्राप्त किया और जो अन्य महिला किसानों को अपनी कृषि भूमि से लाभ अर्जित करने और प्रतिस्पर्धी बनने के लिए प्रेरित कर रही है।
इस बीच मेजर जनरल डॉ माधुरी कनितकर ने श्रोताओं को एक साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि जीवन लगातार सीखने की प्रक्रिया है और महिलाओं के पास काम और जीवन के बीच संतुलन स्थापित करने के साथ-साथ बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने जैसी अनेक जिम्मेदारियां हैं।
अपनी समस्याओं और विफलताओं को स्वीकार करते हुए उन्होंने महिलाओं को इनसे निपटने के तरीके ढूंढने के लिए प्रेरित किया। दो दिन के सम्मेलन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा नवोन्मेष जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमाने वाली महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के विभिन्न पहलूओं के बारे में 6 अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए।