प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पहले वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पहली रिपोर्ट प्रस्तुत करने और वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक अंतिम रिपोर्ट 30 अक्टूबर, 2020 तक प्रस्तुत करने के लिए 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल बढ़ाने की मंजूरी दी है।
कार्यकाल के विस्तार से वित्त आयोग 2020 से 2026 तक की अवधि के लिए अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने तथा सुधारों और नई वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए वित्तीय अनुमानों के लिए विभिन्न तुलनीय अनुमानों की जांच पड़ताल करने में सक्षम होगा।
आयोग ने आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण लागू प्रतिबंधों के कारण अभी हाल में राज्यों की अपनी यात्रा पूरी की है। इससे राज्यों की जरूरतों के व्यापक आकलन पर प्रभाव पड़ा है।
आयोग के विचारणीय विषय व्यापक स्वरूप के हैं। इनके आशयों की व्यापक जांच और इन्हें राज्यों की जरूरतों के अनुसार बनाने के लिए केंद्र सरकार को अतिरिक्त समय की जरूरत होगी।
जिस अवधि की कवरेज में आयोग की सिफारिशें लागू हैं उसमें प्रस्तावित बढ़ोतरी से राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के लिए मध्यावधि संसाधन की योजना बनाने में मदद मिलेगी। 1 अप्रैल, 2021 के बाद आयोग के लिए 5 वर्ष की कवरेज उपलब्ध होने से राज्य सरकारों और केंद्र सरकार, दोनों को मध्यम से लम्बी अवधि के लिए वित्तीय परिप्रेक्ष्य के साथ अपनी योजनाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी और पथ-मध्य आकलन और सुधार के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध होगा। यह अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों का प्रभाव 2020-21 की पहली तिमाही के अंत में प्राप्त आंकड़ों में दिखाई देगा।