मंत्रिमंडल ने अनिवार्य रूप से जूट की बोरियों में पैकेजिंग के नियमों के विस्तार को मंजूरी दी

 


 



 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जूट वर्ष 2019-20 के लिए खाद्यान्न और चीनी को अनिवार्य रूप से जूट की बोरियों में पैकेजिंग के नियमों के विस्तार को मंजूरी दी।


सरकार ने पिछले वर्ष के सामान जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम, 1987 के तहत अनिवार्य पैकेजिंग नियमों के विस्तार को बनाए रखा है। मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार 100 प्रतिशत खाद्यान्न और 20 प्रतिशत चीनी की पैकेजिंग अनिवार्य रूप से जूट की बोरियों में की जानी चाहिए।


चीनी की पैकेजिंग जूट की बोरियों में करने से जूट उद्योग को लाभ मिलेगा। निर्णय में यह भी कहा गया है कि पैकेजिंग के लिए जूट बोरियों का 10 प्रतिशत जीईएम पोर्टल पर नीलामी के जरिए प्राप्त किया जाना चाहिए।  


इस मंजूरी से देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा के किसानों और श्रमिकों को लाभ मिलेगा।


लगभग 3.7 लाख श्रमिक और कई लाख किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए जूट क्षेत्र पर निर्भर है। सरकार जूट क्षेत्र के विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही है- कच्चे जूट की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाना, जूट क्षेत्र का विविधीकरण और जूट उत्पादों के लिए मांग को बढ़ावा देना।


जूट उद्योग मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र पर निर्भर है, जो खाद्यान्न पैकेजिंग के लिए प्रति वर्ष 7,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के जूट की बोरियां खरीदती हैं। जूट क्षेत्र में मांग को बनाए रखने के लिए तथा श्रमिकों और किसानों की आजीविका को समर्थन प्रदान करने के लिए ऐसा किया जाता है।


कच्चे जूट की उत्पादकता और गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए जूट आईसीएआरई लागू किया गया था। इसके जरिए सरकार लगभग दो लाख जूट किसानों को सहायता प्रदान कर रही है। इसके अंतर्गत बेहतर तरीकों जैसे- सीड ड्रिल के माध्यम से पंक्ति में बीज रोपना, व्हील-होइंग और नेल-वीडर के उपयोग से खत-पतवार प्रबंधन, गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणीकृत बीजों का वितरण और सूक्ष्म जीवों के सहारे सड़ाना/जूट रेशे को तैयार करना। इन हस्ताक्षेपों से कच्चे जूट की गुणवत्ता और उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है और जूट किसानों की आय में 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक की वृद्धि हुई है।


इस संबंध में जूट किसानों को समर्थन प्रदान करने के लिए जेसीआई को 2018-19 से प्रारंभ होने वाले वर्ष समेत दो वर्षों के लिए 100 करोड़ रुपये की सब्सिडी का अनुदान दिया गया है। जेसीआई इस धन राशि का उपयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रदान करने के लिए करेगा और इस प्रकार जूट क्षेत्र में मूल्य की स्थिरता सुनिश्चित होगी।


जूट क्षेत्र के विविधीकरण को समर्थन प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय जूट बोर्ड ने राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के साथ समझौता किया है और गांधी नगर में जूट डिजाइन सेल की स्थापना की गई है। जूट जियो कपड़े और एग्रो-कपड़े को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों (विशेषकर पूर्वोत्तकर क्षेत्र के) तथा सड़क परिवहन और जल संसाधन मंत्रालयों के साथ विचार-विमर्श किया गया है।


जूट क्षेत्र में मांग को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने बांग्लादेश और नेपाल से जूट उत्पादों की आयात पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लगाई है। यह 5 जनवरी, 2017 से लागू है।


जूट क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर, 2016 में जूट स्मार्ट लॉन्च किया गया। यह ई-शासन पहल है और सरकारी विभागों/एजेंसियों द्वारा बी-ट्विल खरीद के लिए एक एकीकृत प्लेटफॉर्म है। जेसीआई, एमएसपी की धन राशि को किसानों को प्रदान करने के लिए तथा अन्य व्यावसायिक कार्यों के लिए 100 प्रतिशत ऑनलाइन भुगतान का उपयोग कर रही है।