मंत्रिमंडल ने राज्यसभा से वापस लेने के बाद, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 को लोकसभा में पेश किए जाने की मंजूरी दी

 


 



 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 फरवरी को राज्यसभा में पेश किए गए तथा राज्यसभा में लंबित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 को राज्यसभा से वापस लेने और लोकसभा के मौजूदा अधिवेशन में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 को पेश किए जाने की मंजूरी दे दी है।


फिलहाल आईएफएससी के बैंकिंग, पूंजी बाजार एवं बीमा क्षेत्र आरबीआई, सेबी एवं आईआरडीएआई जैसे अनेक नियामकों द्वारा नियंत्रित हैं। आईएफएससी में कारोबार की गतिशील प्रकृति के कारण नियामकों के बीच अत्यधिक समन्वय की आवश्यकता है। आईएफएससी में वित्तीय गतिविधियों का नियंत्रण करने वाले मौजूदा नियामकों में स्पष्टीकरणों तथा संशोधनों की भी आवश्यकता है।


आईएफएससी में वित्तीय सेवाओं एवं उत्पादों के विकास के लिए केंद्रित एवं समर्पित नियामक हस्तक्षेपों की आवश्यकता होगी। इसलिए भारत में आईएफएससी के लिए एक एकीकृत वित्तीय नियामक स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि वित्तीय बाजार के भागीदारों के लिए विश्वस्तरीय नियामक वातावरण उपलब्ध हो सके।


इसके अलावा कारोबारी सुगमता की दृष्टि से भी यह अनिवार्य होगा। एकीकृत प्राधिकरण से वैश्विक श्रेष्ठ परंपराओं के अनुसार भारत में आईएफएससी के विकास पर जोर दिया जा सकेगा, जो काफी जरूरी है।


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6 फरवरी, 2019 को अपनी बैठक में संसद में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 को पेश करके सभी वित्तीय सेवाओं के नियमन के लिए एक एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद, तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री द्वारा 12 फरवरी, 2019 को राज्यसभा में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 को पेश किया गया था।


लोकसभा सचिवालय ने अब सूचित किया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 117 (1) के तहत एक वित्त विधेयक है और तदनुसार संविधान के अनुच्छेद 117 (1) और 274 (1) के तहत राष्ट्रपति की सिफारिश के साथ इसे लोकसभा में पेश किया जाना चाहिए।