मंत्रिमंडल ने सिक्किम माइनिंग कॉरपोरेशन द्वारा लिए गए चार करोड़ रुपये से अधिक के ऋण और उस पर ब्याज के पुनर्भुगतान को माफ करने की स्वीकृति दी

 


 



 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति ने सिक्किम माइनिंग कॉरपोरेशन द्वारा लिए गए चार करोड़ रुपये से अधिक ऋण और उस पर ब्याज के पुनर्भुगतान को माफ करने की स्वीकृति दे दी है। सिक्किम माइनिंग कॉरपोरेशन पर 01.04.2019 से 54 लाख रुपये ऋण है और इस ऋण पर ब्याज 370.40 लाख रुपये होता है, जो ब्याज राशि को जोड़कर 424.40 लाख रुपये बैठता है।


मूल ऋण पर आगे एकत्रित होने वाला ब्याजा समाप्त हो जाएगा और कॉरपोरेशन की तरलता प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।


सिक्किम माइनिंग कॉरपोरेशन सिक्किम सरकार तथा भारत सरकार के संयुक्त उद्यम प्रतिष्ठान के रूप में 27 फरवरी, 1960 को स्थापित हुआ। कंपनी प्रारंभ से ही घाटे में चलती रही। कंपनी की वित्तीय सेहत को बढ़ाने के लिए 1999 में एक सलाहकार की सेवा ली गई, जिसने अन्य बातों के साथ कंपनी की गतिविधियों को फैलाने और निचले स्तर पर जरूरत से अधिक कर्मियों की सेवा समाप्त करने के साथ तकनीकी स्टाफ को मजबूत बनाने की सलाह दी।


कंपनी के प्रारंभ से ही घाटे में चलने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए संयुक्त उद्यम के साझेदारों (राज्य तथा केन्द्र सरकार) ने सिक्किम के महा-लेखाकार की सिफारिश तथा तत्कालीन योजना आयोग के परामर्श से 2003 में कंपनी के भविष्य को संवारने के उपाय बताने के लिए सलाहकार नियुक्त किया। सलाहकार की रिपोर्ट तथा सिक्किम राज्य विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) की 107वीं रिपोर्ट के आधार पर राज्य और केन्द्र सरकारों ने संयुक्त रूप से कंपनी के खनन कार्यों को बंद करने तथा सभी बकायों तथा देनदारियों को पूरा करने का निर्णय लिया।


परिणाम स्वरूप 01-01-2007 से भोतांग तथा पाछेखानी खदानों में खनन कार्य बंद कर दिया गया। कंपनी के कर्मचारियों के वीआरएस मद् की देनदारियां योजना आयोग (3.41 करोड़ रुपये) तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (2.51 करोड़ रुपये) द्वारा जारी राशि से पूरी की गईं। सिक्किम सरकार द्वारा उसके प्रति कॉरपोरेशन की 685.60 लाख रुपये की देनदारियां माफ कर दी गईं। मशीनों के स्क्रैप की बिक्री से प्राप्त 11.21 लाख रुपये भारत सरकार को वापस कर दिए गए।