नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सौर पीवी बिजली संयंत्रों की अतिरिक्त डी.सी. क्षमता की स्थापना का मामला डेवलपरों पर छोड़ा जाना चाहिए

 


 



 


नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 05 नवंबर को एक निर्देश / स्पष्टीकरण जारी किया है। इसमें बताया गया है कि जब तक सोलर पीवी बिजली संयंत्र अनुबंधित एसी क्षमता के अनुसार हो और क्षमता उपभोग घटक (सीयूएफ) संबंधी जरूरतों के आधार पर ऊर्जा आपूर्ति करता है, डी.सी. साइड पर सौर क्षमता की स्थापना का मामला उत्पादनकर्ता / डेवलपर पर छोड़ देना चाहिए। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई व्यक्ति अपने मनोनुकूल कोई क्षमता स्थापित करने के लिए और इच्छुक खरीदार के लिए बिजली को बेचने के लिए अधिकृत है।


इसके बारे में विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री आर.के.सिंह ने कहा, “सुयोग्य उत्पादकों / डेवलपरों की सुविधा हेतु कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करना देश के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। अक्षय ऊर्जा के डेवलपरों को बाधा मुक्त करना हमारी प्रतिबद्धता है, जो भविष्य में अधिक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण के साथ ऊर्जा सुरक्षा के लक्ष्य तक पहुंचने में भारत की मदद कर सकता है।”


यह ध्यान देने योग्य बात है कि विभिन्न सोलर डेवलपरों / सोलर डेवलपर संघों की ओर से नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को इस संबंध में आवेदन प्राप्त हुए थे। इसमें हाल में कई राज्यों द्वारा प्रश्न उठाए गए थे और चिंता व्यक्त की गई थी कि बिजली खरीद समझौते (पीपीए) / बिजली आपूर्ति समझौते (पीएसए) में निर्धारित क्षमता उपभोग घटक (सीयूएफ) को पूरा करने के लक्ष्य के साथ, नेमप्लेट / अनुबंधित एसी क्षमता से अधिक अतिरिक्त डीसी क्षमता स्थापित करने की विश्वभर में लागू तौर-तरीके भिन्न हैं।


मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी सोलर पीवी बिजली संयंत्र में स्थापित डीसी क्षमता (मेगावॉट), अनुबंधित एसी क्षमता (मेगावॉट) के मूल्य से अधिक है, तो यह पीपीए अथवा पीएसए का उल्लंघन नहीं है, जब तक कि डेवलपर द्वारा स्थापित सोलर पीवी बिजली संयंत्र की एसी क्षमता अनुबंधित एसी क्षमता के अनुरूप हो।