राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि यह साल का एक ऐसा समय है, जब राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है। हम सब एक ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं जो पहले कभी नहीं रही। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में आयोजित आईआईटी, एनआईटी और आईआईएसटी के निदेशकों के सम्मेलन में यह बात कही।
कोविंद ने कहा, कई वैज्ञानिकों और भविष्यवक्ताओं ने दुनिया का अंत होने की बात कही है। हमारे शहरों में आजकल धुंध और कम दृश्यता जैसी स्थितियों को देखकर यह डर सताने लगा है कि भविष्य के लिए कही यह बात कहीं अभी ही सच नहीं हो जाए। उन्होंने विश्वास जताया कि आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थान अपनी विभिन्न विशेषज्ञताओं के माध्यम से साझा भविष्य के लिए छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को ज्यादा संवेदनशील और जागरूक बनाने के लिए काम करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि कारोबारी सुगमता सूचकांक में भारत की स्थिति बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से किए गए केंद्रित प्रयास किए हैं, और अब इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए जीवन सहज बनाना है। उन्होंने प्रौद्योगिकी के संदर्भ मे यह विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटी और एनआईटी जैसी संस्थाएं नागरिकों के जीवन को सहज बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
उन्होंने कहा कि शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार, जल आपूर्ति प्रणालियों को कुशल बनाना और स्वास्थ्य सेवा वितरण को अधिक प्रभावी बनाना आदि ऐसे अनगिनत तरीके हैं, जिनसे प्रौद्योगिकी एक औसत भारतीय के जीवन में नाटकीय अंतर ला सकती है। यह सम्मेलन 152 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ राष्ट्रपति के नियमित संवाद का हिस्सा था।
राष्ट्रपति ने सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पिछली कुछ सदियों में हाइड्रोकार्बन ऊर्जा ने पूरी दुनिया का परि²श्य बदल कर रख दिया है और अब यह हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है। उन्होंने कहा, यह उन देशों के लिए एक तरह की दोहरी चुनौती है जो अपनी आबादी के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर निकालना चाहते हैं। हमें इस चुनौती से निबटने के विकल्प तलाशने होंगे।