राज्यसभा के ऐतिहासिक 250वें अधिवेशन के पहले दिन आज सदन में 'भारतीय शासन प्रणाली में राज्यसभा की भूमिका एवं भविष्य के मार्ग' विषय पर चर्चा की गई। चर्चा के लिये संदर्भ निर्धारित करते हुए सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले 67 वर्षों की अपनी यात्रा के दौरान देश के सामाजिक-आर्थिक सुधार में उच्च सदन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, किन्तु 'सब कुछ अच्छा नहीं है'।
नायडू ने देश में कार्य प्रणाली को सुधारने में राज्यसभा की भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि यह गरीबी, निरक्षरता, स्वास्थ्य सुविधा में कमी, औद्योगीकरण एवं आर्थिक विकास में कमी, सामाजिक रूढ़िवाद, बुनियादी सुविधाओं की कमी, बेरोजगारी आदि से प्रभावित स्वतंत्रता से लेकर आर्थिक विकास के एक अग्रणी इंजन तथा लोगों के जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार के अलावा जटिल वैश्विक प्रणाली में एक आवाज के रूप में देश की पहचान कायम होने तक का साक्षी है।
सभापति ने कहा कि सदन की अब तक की यात्रा के बारे में सामूहिक तौर पर चित्रण के साथ ही सदन के 250वें अधिवेशन के ऐतिहासिक अवसर पर खोए अवसरों के बारे में एक नेक चिंतन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि हम इसमें विफल साबित हुए तो हमारे सामने खुद को असंबद्ध साबित करने का जोखिम होगा।
सभापति ने कहा कि 13 मई, 1952 को पहली बैठक से लेकर सदन ने पिछले 249वें अधिवेशन तक 5466 बैठकें कीं और 3917 विधेयक पारित किये।
नायडू ने सभी 2282 लोगों की सराहना की, जो अब तक राज्यसभा के सदस्य, पीठासीन अधिकारी, पैनल चेयरपर्सन, मंत्री, सदन और विपक्ष के नेता हुए। उन्होंने राज्यसभा की 67 वर्ष की भूमिका में अपनी भागीदारी एवं योगदान के साक्षी रहे सभी अन्य सदस्यों की भी सराहना की।