रिपोर्ट : अजीत कुमार
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय विश्व में अग्रणी थिएटर प्रशिक्षण संस्थानों में से एक है। यह भारत में अपने किस्म का अकेला संस्थान है। एनएसडी ने अपने परिसर में 9 से 12 नवंबर, 2017 तक बाल संगम के बहुप्रतीक्षित 11वें संस्करण की शुरुआत की घोषणा की। इस महोत्सव के 11वें संस्करण में देश के 12 राज्यों के समर्पित बच्चों द्वारा मंचन कलाओं और लोक रंगमंच का प्रदर्शन किया जाएगा।
बाल संगम संस्कार रंग टोली का एक प्रमुख कार्यक्रम है जो हर दूसरे साल पारंपरिक कलाओं और मंचनकला की विरासत को सामने लाता है। इन कलाओं का प्रदर्शन परंपरागत मंचन कला वाले परिवारों, गुरु परम्पराओं और संस्थानों से संबंधित बच्चों द्वारा किया जाता है।
चार दिवसीय सांस्कृतिक मेला 9 नवंबर को शुरू होगा। इसका उद्घाटन लोक और परंपरागत बाल कलाकारों द्वारा 'रंगोली' कार्यक्रम के माध्यम से किया जाएगा। रंगोली को प्रसिद्ध कोरियोग्राफर श्री भरत शर्मा ने कोरियोग्राफ किया है। जिनका तीन दशकों का शानदार करियर है। इस महोत्सव में लोक नृत्य, मार्शल आर्ट, कलाबाजी, नुक्कड़ नाटक के प्रदर्शन के साथ-साथ बाजीगरी, कठपुतली और जादू के शो भी शामिल हैं।
परपंरागत लोकमंचन के लिए बच्चों में उत्सुकता को प्रोत्साहित करने के लिए असम, ओडिशा, राजस्थान, मणिपुर, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, गुजरात, पंजाब, झारखंड, और मध्य प्रदेश जैसे राज्य लोक नृत्य और नाटकों के जादू को लोगों के सामने लाएंगे, ताकि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को तेजी से बदलती दुनिया में संरक्षित किया जा सके।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. अर्जुन देवचरण ने कहा कि यह महोत्सव बच्चों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न पारंपरिक कला रूपों का एक समूह है। हमें इस बात पर गर्व है कि टीआईई कंपनी अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों का बच्चों को ज्ञान कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
रंगमंच और लोक मंचन कलाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक सुरेश शर्मा ने कहा कि रंगमंच और लोक मंचन कला बच्चों को मुद्दों की खोज और संवेदनशीलता के लिए एक महान शिक्षण माध्यम है। इस तरह की गतिविधियाँ और महोत्सवों से न केवल प्रदर्शन के लिए, बल्कि सीखने, यात्रा करने और अनुभव साझा करने के लिए एक अद्भुत मंच भी हैं। एनएसडी का विश्वास है कि रंगमंच व्यक्ति को मुद्दों के प्रति संवेदनशील और समाज का एक सक्रिय भागीदार बनाता है क्योंकि यह संचार की शक्तियों को बढ़ावा देता है। रंगमंच इन सभी गुणों का समावेश करता है इसलिए बच्चों को इस अद्भुत मंच से परिचित कराया जाए, तो वे बेहतर इंसान बन जाते हैं।
रंगमंच-शिक्षा के प्रमुख अब्दुल लतीफ खटाना ने कहा कि बाल संगम लोक और पारंपरिक कला रूपों का संगम है। जब बाल कलाकार अपनी कला में निपुणता और अपनी मासूमियत के साथ इन लोक और पारंपरिक कला रूपों को आत्मसात करते हैं तो उनका प्रदर्शन जादू भरा हो जाता है।
एनएसडी के अधिकारी वंचित तबकों के बच्चों के साथ काम करने वाले विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों तथा सामाजिक संगठनों के माध्यम से इन तबकों के बच्चों को आमंत्रित करने के लिए विशेष इंतजाम कर रहे हैं, ताकि उन्हें भी बच्चों के लिए आयोजित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के इस महोत्सव के अनुभव से समृद्ध बनाया जा सके। 9 -12 नवंबर तक महोत्सव के दौरान कला और शिल्प की विभिन्न प्रकार की कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएगी।
एनएसडी की संस्कार रंग टोली की स्थापना 16 अक्टूबर, 1989 को हुई थी और इसने अपनी स्थापना के 30 साल पूरे कर लिए हैं। संस्कार रंग टोली देश में एकमात्र थिएटर शिक्षा संसाधन केंद्र है और विभिन्न कार्यशालाओं में अब तक लगभग 20 हजार बच्चों के साथ काम कर चुकी है। टीआईई कंपनी ने देश के विभिन्न हिस्सों में 2000 से भी अधिक कला मंचन कार्यक्रम आयोजित किए हैं। कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों, माता-पिता और थियेटर प्रेमियों के अलावा 10 लाख से अधिक बच्चों ने इन नाटकों को देश के लगभग सभी राज्यों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पोलैंड, चीन, फिलीपींस और जापान के लोगों ने भी देखा है।