राष्ट्रों के अनेक नियम हैं, लेकिन कला और संगीत की ऐसी कोई सीमाएं नहीं: के.एम. वेणुगोपाल

 


 



 


सरकारी आदेश के कारण जब लाउडस्पीकर (कोलांबी) हमेशा के लिए खामोश कर दिए गए, तो अपनी आजीविका के लिए उस पर निर्भर एक वृद्ध दंपत्ति की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई। एक युवा कलाकार ने कोलांबी से संबंधित इस दुखद प्रकृति को कलात्मक प्रस्‍तुति में तब्दील कर दिया। उसके इस कदम से कोलांबी को उसकी आवाज और इस वृद्ध दंपत्ति को उनकी जिंदगी वापस मिल गई। एक वृद्ध दंपत्ति और एक युवती के प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाने वाली खूबसूरत मलयालम फिल्म कोलांबी पणजी में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आज कोलांबी के कलाकारों और अन्य कर्मियों के साथ आयोजित संवाददाता सम्मेलन में चर्चा का केन्द्र रही। इस संवाददाता सम्मेलन में एक अन्य बायोपिक फिल्म 'आनंदी गोपाल' के निर्देशक समीर संजय विद्वांस भी मौजूद रहे।   


कोलांबी के निर्देशक टी.के. राजीवकुमार ने कहा कि उनकी फिल्म की कहानी एक ऐसी स्थिति पर आधारित है, जब 2005 में ध्वनि प्रदूषण कानून अस्तित्व में आया था। उन्होंने कहा, 'यह 1960 के दशक में एक व्यक्ति के जीवन के बारे में है, जो गायकों के प्रति बहुत उत्‍साहित रहता है। वह लाउडस्पीकर के जरिए केरल के इतिहास को संजोने में यकीन रखता है। यह व्यक्ति हर एक चर्चित व्यक्ति और नेता को पसंद करता है।'


      फिल्म के पटकथा लेखक श्री के.एम. वेणुगोपाल ने कहा कि कला और संगीत इस फिल्म के दो महत्वपूर्ण घटक हैं। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रों के अनेक नियम और प्रतिबंध होते हैं, लेकिन कला और संगीत की ऐसी कोई सीमाएं नहीं होतीं। कला का विचार यही है कि सभी सीमाओं और प्रतिबंधों से ऊपर उठा जाए।'


      कोलांबी में अपनी भूमिका की चर्चा करते हुए मुख्य अभिनेत्री नित्या मेनन ने कहा, 'जब इस खूबसूरत विचार को लेकर निर्देशक मेरे पास आए, तो मुझे यह बेहद पसंद आया। मेरे लिए इस फिल्म में उनके साथ काम करना सचमुच बहुत फायदेमंद रहा। मुझे यकीन है कि सच्चे कलाकार व्यावसायिक वातावरण में बहुत भय महसूस करते हैं। इस कारण कोलांबी मेरे लिए ताजी हवा के झोंके के समान है।' कोलांबी में भूमिका निभाने वाली एक अन्य अभिनेत्री रोहिणी ने भी इसमें भाग लिया।


आनंदी गोपाल' फिल्म के निर्देशक समीर संजय विद्वांस ने इसकी कहानी के बारे में बताते हुए कहा कि यह कहानी आनंदी और गोपाल जोशी नाम के एक दंपत्ति की है, जिसमें 140 साल पुराना समय दर्शाया गया है। समाज के विरोध के बावजूद गोपाल आनंदी को अमरीका जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है और वह भारत की पहली महिला चिकित्सक बनती है।


कोलांबी, टी.के. राजीव कुमार द्वारा निर्देशित एक मलयालम फिल्म है, जो एक ऐसे वृद्ध दंपत्ति की दास्तान सुनाती है, जो सरकार द्वारा कोलांबी (लाउडस्पीकर) पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद बेरोजगार हो जाता है। तभी कोच्चि आने वाली एक युवा कलाकार की मुलाकात अचानक इस दंपत्ति से होती है। वह कोलांबी के भविष्य की त्रासदीपूर्ण प्रकृति की ओर आकर्षित हो जाती है और कोच्चि सम्मेलन के लिए एक कलात्मक प्रस्तुति तैयार करती है। 


समीर विदवान द्वारा निर्देशित यह फिल्म 19 वीं शताब्दी के भारत की एक सत्‍य कहानी पर आधारित है। नौ वर्षीय यमुना (उर्फ आनंदी) का विवाह गोपालराव जोशी से हुआ था, उसने अपने माता-पिता से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि उसको शिक्षा दिलाई जाए। एक निजी त्रासदी के बाद, आनंदी डॉक्टर बनने की कसम खाती है और गोपाल उसके फैसले का समर्थन करता है। लेकिन परिजन और समाज उसकी बहुत आलोचना करते हैं। वे लड़की के शिक्षित होने और डॉक्टर बनने को स्‍वीकार नहीं करते। गोपाल अपनी बात पर डटे रहते हैं और आनंदी को पढ़ने के लिए अमेरिका भेजते हैं। जहां वह भारत की पहली महिला डॉक्टर बन जाती हैं!