रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना मुख्यालय में दूसरे द्विवार्षिक वायु सेना कमांडरों के सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। वायु सेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएम, एडीसी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार और रक्षा उत्पादन सचिव सुभाष चंद्रा का स्वागत किया। उन्होंने रक्षा मंत्री से वायु सेना के कमांडरों का परिचय करवाया।
कमांडरों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, “पूरे देश को भारतीय वायु सेना पर गर्व है। मैं भारतीय वायुसेना के पेशेवर रुख की प्रशंसा करते हुए सभी वायु सेना के सभी योद्धाओं और उनके परिवारों की सराहना करता हूं जिन्होंने हमें सबसे सक्षम और लड़ाकू वायु सेना प्रदान की है। आईएएफ ने बार-बार खुद को साबित किया है। इसने विदेशी वायु सेनाओं का सम्मान अर्जित किया है, जो इसके साथ सहयोग करने और अभ्यास करने के लिए उत्सुक हैं। हम अपनी रक्षा क्षमताओं को घरेलू उत्पादन बढ़ाकर और सैन्य सामग्री के आयात पर निर्भरता कम करके मजबूत कर रहे हैं। हमें स्वदेशी डिजाइन और विकास के लिए नए अवसरों का लाभ उठाना है। मैं इस बारे में भारतीय वायुसेना के प्रयास की सराहना करता हूं। मैं वायु सेना के कमांडरों से अनुरोध करता हूं कि वे भविष्य की चुनौतियों के विरूद्ध रणनीति विकसित करने तथा भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए इस सम्मेलन का उपयोग करें। वायु सेना वास्तव में रणनीतिक एयरोस्पेस पावर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने रक्षा मंत्री को आईएएफ की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी।
कमांडरों को संबोधित करते हुए वायु सेना प्रमुख ने अपनी परिचालन क्षमताओं पर जोर देते हुए इन-हाउस रख-रखाव क्षमताओं को लगातार बढ़ाने तथा भारतीय वायुसेना को मजबूत बल बनाने के लिए नए साजो-सामान के अधिकतम उपयोग की जरूरत बताई। भारतीय सेना और भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त प्रशिक्षण को बढ़ाने पर जोर दिया ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
कमांडर्स सम्मेलन 25 और 26 नवंबर, 19 को आयोजित किया जाएगा, जिसमें संयुक्त-संचालन, ड्रोन-विरोधी ऑपरेशन, विषम युद्ध का सामना करने के साथ-साथ सटीक लक्ष्यीकरण, साइबर और सूचना युद्ध क्षमता को और मजबूत करने पर चर्चा होगी। इस सम्मेलन के दौरान स्वदेशीकरण, उपकरणों की खरीद को सुव्यवस्थित करने, प्रशिक्षण को मजबूत बनाने और मानव संसाधन नीतियों के अनुकूलन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी।