विज्ञान भारती के संगठन सचिव जयंत सहस्रबुद्धे ने कहा है कि साहित्य से जुड़कर विज्ञान जनता से जुड़ जाएगा। सहस्रबुद्धे आज कोलकाता में अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान साहित्य उत्सव के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। उत्सव का आयोजन भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान उत्सव (आईआईएसएफ) के तहत 5 से 7 नवम्बर को कोलकाता में किया जा रहा है। इसका आयोजन सीएसआईआर–राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान (निस्केयर) और विज्ञान प्रसार ने किया है। उद्घाटन समारोह में लगभग 200 आमंत्रितों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने अपने मुख्य वक्तव्य में कहा कि संचार विज्ञान वैज्ञानिकों के अलावा समाज के विभिन्न वर्गों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक डॉ. विजय भाटकर समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि विज्ञान संचार के लिए वैज्ञानिक साहित्य बहुत अहमियत रखता है। भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार की आवश्यकता पर बल देते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के पूर्व अध्यक्ष डॉ. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार को बढ़ावा देने के लिए देशव्यापी कार्यक्रम चलाए जाने की जरूरत है।
भौतिक शास्त्री, लेखक, दार्शनिक और संगीतज्ञ डॉ. पार्था घोष ने कहा कि विज्ञान साहित्य के अभाव में विज्ञान पनप नहीं सकता। उन्होंने कहा कि विज्ञान कथा-साहित्य महत्वपूर्ण है और भारत में विज्ञान कथा-साहित्य अधिक से अधिक लिखा जाना चाहिए।
पद्मश्री डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्रा ने कहा कि साहित्य और विज्ञान में कोई अंतर नहीं है, दोनों सत्य को प्रकट करने वाले दो अलग-अलग तरीके हैं।
उद्घाटन समारोह में डीएसटी के अपर सचिव और वित्तीय सलाहकार श्री बी. आनंद, दक्षिण कोरिया के प्रो. हाक-सू-किम तथा राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष डॉ. बिमल रॉय भी उपस्थित थे। उद्घाटन समारोह के दौरान विशिष्टजनों ने विज्ञानिका नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पुस्तक मेले का भी उद्घाटन किया गया, जिसमें लगभग 30 प्रकाशकों ने हिस्सा लिया।
इसके पहले निस्केयर के निदेशक डॉ. मनोज कुमार पटेरिया ने सबका स्वागत किया। आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर डॉ. प्रल्लब बनर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन पेश किया।