सरकार ने वन अधिनियम 1927 में संशोधन के मसौदे को वापस लेने का फैसला किया

रिपोर्ट : अजीत कुमार


 



 


भारत सरकार ने भारतीय वन अधिनियम1927 में संशोधन के लिए तैयार मसौदे में कुछ खामियां रहने के कारण उसे वापस लेने का फैसला किया है। केन्‍द्रीय पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्‍ली में संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पिछले पांच वर्षों से केन्‍द्र सरकार जनजातियों और वनवासियों के हित के लिए काम करती रही है और ऐसे में उनसे जुड़े किसी भी कानून में कोई खामी नहीं रहने देगी।


उन्‍होंने कहा “ हम भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन के लिए तैयार मसौदे को पूरी तरह से वापस ले रहे हैं ताकि इसकी त्रुटियों को दूर किया जा सके।  जनजातियों के अधिकारों को पूरी तरह सुरिक्षत रखा जाएगा और वन क्षेत्रों के विकास में वे हमेशा की तरह एक अहम पक्ष होंगे”। उन्‍होंने आगे स्‍पष्‍ट किया कि यह अधिकारियों की ओर से शुरु की गई एक तकनीकी और कानूनी प्रक्रिया थी जिसके तहत विभिन्‍न राज्‍यों से मसौदे के प्रारूप पर सुझाव मांगे गए थे और मसौदे के प्रारुप की प्रतियां प्रत्‍येक राज्‍य के मुख्‍य वन संरक्षक अधिकारी को दी गई थी। 


केन्‍द्रीय पर्यावरण मंत्री ने जनजातियों और वनवासियों की आ‍जीविका के साधन समृद्ध बनाने की केन्‍द्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा “हमने इन लोगों के लिए न केवल वि‍त्‍तीय मदद और अधिक कल्याणकारी योजनाओं का समर्थन किया है, बल्कि उनके लिए वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी सुनिश्चित किया है और साथ ही पिछले 5 साल के दौरान उन्‍हें कई हेक्टेयर जमीन का मालिकाना हक भी दिलाया है।


जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने मसौदे को वापस लिए जाने के फैसले का स्‍वागत करते हुए कहा “मसौदे का वापस लेने का फैसला लेकर भारत सरकार ने जल,जंगल और जमीन तथा जनजातियों को समान महत्‍व देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी है और यह साबित किया है कि उनकी हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी।”


केंद्र सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है ताकि जनजातीय लोगों और वनवासियों के अधिकार छीने जाने के बारे में किसी भी तरह की आशंका को दूर किया जा सके।


दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, सरकार जनजातीय लोगों और वनवासियों को और अधिक अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, सरकार ने वन अधिनियम में संशोधन के मसौदे को वापस ले लिया है और उसका जनजातीय लोगों और वनवासियों के अधिकार छीनने का कोई इरादा नहीं है।


इस अवसर पर आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर वन अधिनियम से संबंधित संशोधन के मसौदा वापस लिया है। उन्होंने कहा, इस कदम से जनजातीय लोगों और वनवासियों को काफी फायदा होगा।