सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में बने खाद्य उत्पाद बाजार में उपलब्ध उत्पादों से हैं बेहतरः डॉ. हर्षवर्धन

रिपोर्ट : अजीत कुमार


 



 


केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की प्रयोगशालाओं में बने खाद्य उत्पाद बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पादों से बेहतर हैं। सीएसआईआर द्वारा विकसित खाद्य प्रसंस्करण तकनीकों की प्रदर्शनी के शुभारंभ के मौके पर उन्होंने कहा, “सीएसआईआर के उत्पाद ज्यादा किफायती, स्वादिष्ट, ज्यादा पोषण से युक्त हैं और इनके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं हैं।” इस अवसर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली भी मौजूद रहे।


डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “यहां प्रदर्शित सभी मशीनों और खाद्य उत्पादों को सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं विशेषकर चंडीगढ़, मोहाली, मैसूर, पालमपुर में विकसित किया गया है। मैं बीते पांच साल के दौरान इन प्रयोगशालाओं में दो-तीन बार जा चुका हूं और मैंने इन मशीनों द्वारा विकसित किए जा रहे उत्पादों को करीब से देखा है। साथ ही खुद इनका स्वाद भी चखा है।” डॉ. हर्ष वर्धन ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) और एसोचैम के साथ मिलकर सीएसआईआर द्वारा आयोजित पदर्शनी के भ्रमण के दौरान कही।


स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का प्रभार भी संभाल रहे केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मैं गारंटी ले सकता हूं कि ये उत्पाद खासे किफायती, स्वादिष्ट और बाजार में उपलब्ध ऐसे अन्य उत्पादों से ज्यादा पोषण से युक्त हैं।”


डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इस प्रकार की प्रदर्शनियों का आयोजन देश भर में, विशेषकर पालमपुर और अन्य खाद्य प्रसंस्करण केंद्रों में जरूर कराए जाने की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने मीडिया से इस प्रदर्शनी के बारे में लोगों को अवगत कराने का अनुरोध किया, जिससे कम से कम दिल्ली-एनसीआर के लोग बड़ी संख्या में यहां पर आ सकें और सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में बने उत्पादों का स्वाद चख सकें।


केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि प्लास्टिक का विकल्प खोजने के लिए देश भर में प्लास्टिक क्षेत्र में व्यापक शोध चल रही हैं। उन्होंने कहा, “हमने इस प्रदर्शनी में देखा कि वे यहां पर एक खाने योग्य प्लेट लेकर आए हैं, साथ ही हमारी प्रयोगशाला ने देहरादून में निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा किया और उसे डीजल, पेट्रोल, पेट्रो रसायन में तब्दील किया है। इस प्रकार विज्ञान की मदद से सब कुछ संभव है।”


अपने संबोधन में एमओएफपीआई राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा, “एमओएफपीआई पहाड़ी क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने पर 75 फीसदी और पूर्वोत्तर भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने पर 50 फीसदी तक सब्सिडी देता है।” उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विभाग विभिन्न उपायों के माध्यम से जैविक खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।


अपने संबोधन में एसोचैम के महासचिव दीपक सूद खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक को प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि भारत के विकास के लिहाज से यह खासा अहम है। यह छोटे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का आधार भी है।