महाराष्ट्र में किसी भी दल द्वारा बहुमत साबित नहीं कर पाने के बाद मंगलवार को वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। हालांकि सभी दलों ने किसी न किसी तरह से जोड़-तोडक़र सरकार बनाने की पूरी कोशिश की। जनता ने भाजपा और शिवसेना के गठबंधन पर मोहर लगाई थी, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर सहमति नहीं बनने से बात नहीं बनी।
इस बीच शरद पंवार की राकांपा और कांग्रेस भी इस सियासी घमासान में कूद पड़ी। इसके बावजूद महाराष्ट्र का भविष्य नहीं बदल पाया और अभी भी सभी पार्टियां अलग-अलग जुगाड़ में लगी हुई हैं। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र की राजनीति पर अपना रुख सार्वजनिक किया है।
शाह ने कहा कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मैंने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा कि अगर हमारा गठबंधन जीतता है तो देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे। इस बात पर तब किसी ने आपत्ति नहीं जताई थी। अब वे नई मांगें लेकर आए हैं, जो हमें स्वीकार्य नहीं हैं। शाह का इशारा शिवसेना की ओर था।
शाह ने कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार बनाने के लिए 18 दिन जितना समय नहीं दिया गया था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही पार्टियों को आमंत्रित किया। न तो शिवसेना और न ही कांग्रेस-एनसीपी और न ही हमने दावा किया। अगर आज भी किसी पार्टी के पास बहुमत साबित करने के लिए संख्या है तो वह राज्यपाल से संपर्क कर सकती है।