स्ट्रीमिंग सर्विसेज बड़े स्‍टुडियो का वर्चस्‍व तोड़ देंगी : नील आर्डेन ओपलेव

 



 


स्ट्रीमिंग सर्विसेज धीरे-धीरे बड़े स्टूडियो का वर्चस्व तोड़ देंगी और छोटे फिल्म निर्माताओं के लिए फायदेमंद साबित होंगी। हालांकि, साथ ही वे स्थानीय फिल्म निर्माण की लागत बढ़ा रही हैं। यह विचार डेनिश फिल्‍म डेनियल के निर्देशक नील आर्डन ओपलेव ने आज गोवा के पणजी में आईएफएफआई 2019 में मीडिया से बात करते हुए व्‍यक्‍त किए।


ओपलेव ने  कहा, “अमेरिकी फिल्म-निर्माण बड़े स्टूडियो द्वारा संचालित है जबकि यूरोप फिल्म-निर्माण के स्वतंत्र स्‍वरूप को अपनाता है। भारतीय फिल्म-निर्माण काफी हद तक अमेरिकी फिल्म निर्माण की तरह है और यह यूरोप की तुलना में ज्‍यादा तेजी से लास एंजेलिस में फिल्म निर्माण की ओर बढ़ेगा। यूरोपीय फिल्मों को छोटे पैमाने पर फिल्माया जाता है और वे मध्यम बजट की फिल्में होती हैं और कभी-कभी फिल्म निर्माताओं को फिल्म के लिए धन पाने के लिए यूरोपीय संघ, सरकारों पर निर्भर रहना पड़ता है।


डेनियल के बारे में उन्होंने कहा, “मेरी फिल्म सीरिया में आईएसआईएस द्वारा पकड़े गए एक युवक के बारे में एक सच्ची कहानी पर आधारित है। यह इतना दमदार विषय था कि मैं वापस लौटने और उसके आधार पर एक फिल्म बनाने के लिए मजबूर हो गया था।” यह फिल्म मास्टर फ्रेम्स श्रेणी के तहत प्रदर्शित की गई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कुशल फिल्म निर्माताओं की फिल्मों को दिखाया जाता है।


ओपलेव ने कहा, “अमेरिका विदेशी फिल्मों के लिए पारंपरिक रूप से खराब बाजार है। उनकी फिल्म “वी शैल ओवरकम” भारत में वितरित की गई थी।” ओपलेव ने कहा कि विदेशी फिल्म खरीदना वितरकों के लिए जोखिम भरा काम होता है। ओपलेव ने कहा कि यूरोपीय फिल्म निर्माता चीनी बाजार में संभावनाएं तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने राय व्यक्त की कि पुरस्कारों में क्षमता से अधिक आंका जाता है, हालांकि विदेशों में फिल्म बनाने की कोशिश करने वालों को इनसे मदद मिलती है।


महोत्सव में आईसीएफटी- यूनेस्को गांधी पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली इतालवी फिल्म रवांडा के निर्देशक रिकार्डो साल्वेती भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे।


उन्होंने कहा, “हमारी फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है। चूंकि यह फिल्म अफ्रीका पर केंद्रित है, इसलिए इसमें किसी की भी दिलचस्पी नहीं थी और हमें अपने देश में बहुत प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। कम बजट के कारण हमने इटली में अपने घर के पास शूटिंग की। हालांकि, स्थान में इतनी समानता थी कि शूटिंग की जानकारी मिलने पर रवांडा के कई लोगों को लगा कि हम रवांडा में ही कहीं हैं।”


उन्होंने कहा कि सबसे मुश्किल हिस्सा पटकथा से अपनाना था।” मैंने इस फिल्म में थिएटर और फिल्म के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है। यह प्रेरणादायी था। मैंने शैलियों और भाषाओं को मिलाने की कोशिश की। हम इस फिल्म को नेटफ्लिक्स पर डालने की कोशिश कर रहे हैं और ऑनलाइन अनुरोध के आधार पर स्क्रीनिंग की व्यवस्था भी कर रहे हैं।''


फिल्म स्कैण्डीनेवियन साइलेंस के निर्देशक एरिक पुल्लुमा संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित थे। श्री पुल्लुमा ने कहा कि वह फिल्म निर्माण में सहयोग प्राथमिकता देने वाले हैं। उन्होंने कहा कि सही छवियां और कोण प्राप्त करना उनके लिए सबसे मुश्किल हिस्सा है। उनका मानना है कि पुरस्कार लोगों को मान्यता प्रदान करने के लिए अच्छे हैं और पूर्वी यूरोपीय फिल्मों के उदासी भरे रंग विन्यास का कारण उनके उदासी भरे विषय और कथानक हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि वे हास्य फिल्में भी बनाते हैं।