‘उमा- लाइट ऑफ हिमालय’ एक दृश्‍यात्‍मक तीर्थ यात्रा है : आनन्‍द ज्‍योति

 


 



 


आमतौर पर ब्राजील का हमारे देश में फुटबॉल और साम्‍बा नृत्‍य के पर्याय के रूप में इस्‍तेमाल होता है, लेकिन सोमवार को आईएफएफआई स्‍थल पर 'उमा- लाइट ऑफ हिमालय' पर हुई गहन चर्चा के दौरानइस देश का नाम आध्‍यात्मिकता, संस्‍कृति और फिल्‍मों के साथ गुंजायमान हुआ। इस चर्चा का नेतृत्‍व इस फिल्‍म के निर्देशक आनन्‍द ज्‍योति ने संगीतकार जाओ पॉलो मेंडोंसा और अभिनेत्री इसाबेला पिनाकी के साथ किया।


इस फिल्‍म के बारे में बताते हुए आनन्‍द ज्‍योति ने कहा,'मेरी फिल्‍म में आरंभ, मध्‍य या अंत जैसी निश्चित संरचना नहीं है। यह एक दृश्‍यात्‍मक (विजुअल) तीर्थयात्रा  है।' उन्‍होंने कहा  कि गंगा नदी इस फिल्‍म की नायिका है और मैं इसे सांस्‍कृतिक दृष्टिकोण से देखता हूं। गंगा एकमात्र ऐसी नदी है, जिसे पूरी दुनिया में इस रूप में पूजा जाता है।


आनंद ने कहा कि हालांकि भारत एक प्राचीन देश है और ब्राजील उसकी तुलना में नया राष्‍ट्र है, इसके बावजूद इन दोनों देशों में साझा करने के लिए बहुत कुछ है। उन्‍होंने कहा, 'ब्राजील वासी भारतीय संस्‍कृति का स्‍वागत करते हैं। ब्राजील में फिल्‍म समारोहों के दौरान भारतीय फिल्‍मों को बहुत पसंद किया जाता है।'


प्रश्‍नों का उत्‍तर देते हुए आनंद ने कहा कि वह भारत में ब्राजील का फिल्‍म महोत्‍सव का आयोजन करने के बारे में विचार कर सकते हैं और इस बारे में जो भी आगे आएगा, वह उसे हरसंभव सहायता देंगे। आनंद 2012 से ब्राजील में भारतीय फिल्‍म समारोहों का आयोजन करते आ रहे हैं।   


उन्‍होंने कहा,'ब्राजील की फिल्‍मों के बारे में सबसे अच्‍छी बात यह है कि वहां कोई सेंसर बोर्ड नहीं है। मुझे लगता है कि यह बात सबसे अच्‍छी है। यहां सभी फिल्‍मकारों को इसी की चिंता सताती है। हमें थोड़ी सी ढिलाई बरतने की जरूरत है।'


संगीतकार जाओ ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, 'मैं पहली बार भारत आया हूं और जिन लोगों से मेरी मुलाकात हुई, वे बहुत अच्‍छे हैं। इससे मेरे संगीत रचना करने के तरीके में निश्चित रूप से बदलाव आएगा। इस फिल्‍म में मैंने काव्‍यात्‍मकता पर ध्‍यान केन्द्रित किया है –गंगा का प्रभाव बेहद अद्भुत है। मैंने भारतीय संगीत वाद्यों को बजाने का प्रयास किया, लेकिन इन्‍हें सीखने के लिए मुझे जीवन भर का समय लगेगा।'


फिल्‍म और इसके निर्देशक आनंद ज्‍योति के साथ अपने संबंध के बारे में बताते हुए संगीतकार जाओ ने कहा कि भारत बहुत आध्‍यात्मिक देश है और ये आध्‍यात्मिकता सबको जोड़ती है।


भारत के लिए अपने विशेष प्रेम का उल्‍लेख करते हुए इसाबेला पिनाकी ने कहा,'मैं इस शानदार अनुभव के लिए आभारी हूं। आध्‍यात्मिक रूप से यह मेरे लिए बेहद निजी अनुभव है। मैं सिर्फ गोवा ही नहीं, बल्कि इस समारोह के भव्‍यता को देखकर भी हैरान हूं। ये अद्भुत है। लोग आनंद की तलाश में भारत आते हैं। मैं कई बार भारत आ चुकी हूं। मेरे मन में केरल के लिए विशेष स्‍नेह है। अब गोवा भी उस सूची में शामिल हो गया है।' उन्‍होंने कहा कि योग और आध्‍यात्मिकता की वजह से ब्राजील में भारतीय संस्‍कृति को स्‍वीकार किया जाता है।