उपराष्ट्रपति ने देश में तत्काल और बेहतर आपात स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का आह्वान किया

 


 



 


उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने दिल्ली में कहा कि देशभर में तत्काल और और बेहतर आपात स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए निवेश बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने स्वास्थ्य सेक्टर के सभी हितधारकों से आग्रह किया कि नागरिकों को आपातकालीन प्राथमिक उपचार करने के लिए कार्यक्रमों और मैनुअलों का विकास करें। इनमें सीपीआर प्रक्रिया शामिल है। उल्लेखनीय है कि सीपीआर के तहत हृदयगति अचानक रुक जाने पर फौरन छाती पर दवाब डालकर और मुंह से सांस देकर पीड़ित को बचाने की कोशिश की जाती है।


नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आपातकालीन औषधि पर 10वें एशियाई सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में रोज लगभग 3700 लोग जान गवांते हैं और लाखों लोग घायल या विकलांग हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे, पैदल चलने वाले, साइकिल चालक और वृद्ध लोग सड़क दुर्घटनाओं का अधिक शिकार होते हैं। अगर अस्पताल ले जाने से पहले, मौके पर ही उनका प्राथमिक उपचार हो जाए, तो सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।


मजबूत आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं का विकास करने की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ट्रॉमा के मामलों के सम्बंध में राहगीरों का प्रशिक्षण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों में एमरजेंसी और ट्रॉमा मामलों के लिए मानक उपचार मैनुअल की आवश्यकता है।


नायडू ने मेडिकल कॉलेजों का आह्वान किया कि वे दुर्घटनाओं, हृद्याघात, प्राकृतिक आपदाओं और अन्य आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए अपने छात्रों को प्रशिक्षित करें। उन्होंने मेडिकल प्रोफेशनलों से गैर-संचारी रोगों की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निकट के शिक्षा संस्थानों का दौरा करने का आग्रह किया।


सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत में एशियन सोसाइटी फॉर एमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष प्रो. इलडिरे सेट; एसीईएम के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. के. हरि प्रसाद; एशियन सोसाइटी फॉर एमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. सतीश कैलासम और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। सम्मेलन में अगले चार दिनों के दौरान विभिन्न देशों से 2000 से अधिक प्रतिनिधियों का हिस्सा लेने की संभावना है।