उपराष्ट्रपति ने एनआईटी एवं अन्य विश्वविद्यालयों से शीर्षस्थ वैश्विक संस्थान बनने का प्रयत्न करने के लिये कहा

 


 



 


भारत के उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने एनआईटी एवं अन्य भारतीय विश्वविद्यालयों से शीर्षस्थ वैश्विक संस्थानबनने का प्रयास करने के लिये कहा ।


राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सुरथकल के हीरक जयंती वर्ष पर दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने देश के दस उच्च संस्थानों में से एक होने के लिये  एनआईटी सुरथकल की प्रशंसा की एवं कहा कि इसको इस उपलब्धि पर संतुष्ट नहीं होना चाहिये बल्कि एक वैश्विक गुणवत्ता वाले संस्थान के रूप में उभरना चाहिये । उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थानों के लिये 'चलता है' का रवैया अपनाने के प्रति चेताते हुए नायडू ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि भारतीय संस्थान विश्व के उच्च शिक्षण संस्थानों में शामिल नहीं हैं ।


उप राष्ट्रपति ने इच्छा जताई कि शिक्षण प्रणाली उन्नत होने के लिये नवप्रवर्तन एवं रचनात्मकता के सही पारितंत्र का निर्माण करें ।नवप्रवर्तन, आविष्कार एवं अन्वेषण एनआईटी, आईआईटी एवं विश्वविद्यालय परिसरों का प्रचलित शब्द होना चाहिये । उन्होंने जोड़ा कि नया बाज़ार एवं नये उत्पाद खरीदने के लिये नवाचार, आविष्कार एवं अन्वेषण की योग्यता को नई सदी में सफलता की कुंजी के रूप में मान्यता दी गई है ।


यह बताते हुए कि नवाचार की संस्कृति को निवेश के माध्यम से समर्थित एवं जीवित होना चाहिये, उप राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं अकादमिक संस्थानों में शोध एवं विकास को प्रोत्साहन देने के लिये निजी क्षेत्र के निवेश का बढ़िया वातावरण है ।


उन्होंने आगे कहा, “मैं निजी क्षेत्र से अपील करता हूं कि सामाजिक लाभ हेतु शोध को बढ़ावा देने के लिये सीएसआर के अंतर्गत समग्र निधि की रचना करें ।”


उप राष्ट्रपति ने एनआईटी- सुरथकल जैसे संस्थानों से भारत को ज्ञान, नवाचार एवं कौशल प्राप्त जनशक्ति का वैश्विक केंद्र बनाने के लिये अहम भूमिका निभाने के लिये कहा। उन्होंने डिजिटल तकनीक से संचालित, ज्ञान आधारित इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप युवाओं को तैयार करने पर ज़ोर दिया ।


भारत के साथ जनसांख्यिकीय लाभ को देखते हुए उन्होंने कहा, “हमारे पास न सिर्फ देश की, बल्कि कई अन्य देशों, विशेषकर वृद्ध होती जनसंख्या वाले देशों की ज़रूरतों को पूरा करने की भी क्षमता है ।”


यह बताते हुए कि विज्ञान एवं तकनीक का उद्देश्य संधारणीय आर्थिक विकास तथा लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार था, उप राष्ट्रपति ने प्रतिष्ठित संस्थानों से विश्व स्तरीय वैज्ञानिकों तथा प्रौद्योगिकीविदों का समूह तैयार करने के लिये कहा जो मुंह बाएं खड़ी समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण के नवप्रवर्तनशील समाधान दे सकें ।


यह कहते हुए कि पर्यावरण की रक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला एवं सामाजिक समानता नाज़ुक विषय थे जो आधुनिक इंजीनियरिंग डिज़ाइन में शामिल किये जाने चाहिए थे, उप राष्ट्रपति ने कहा कि संधारणीय विकास सुनिश्चित करने के लिये हमारी तकनीकी एवं इंजीनियरिंग प्रणालियों को पुनर्परिभाषित, पुनर्संरचित एवं पुर्गठित करने की आवश्यकता है ।


नायडू ने ज़ोर दिया कि छात्रों को संज्ञानात्मक कौशल के साथ साथ सामाजिक एवं भावनात्मक कौशल का विकास करनेके अवसर मुहैया कराने चाहिए। उन्होंने कहा कि, “छात्रों को अन्य गुणों के साथ साथ सांस्कृतिक जागरूकता, संवेदना, अध्यवसाय, चरित्र बल, टीमवर्क एवं नेतृत्व का विकास करना चाहिए ।”


नायडू ने छात्रों की रचनात्मकता एवं मौलिकता के विकास तथा नवाचार हेतु उनको प्रोत्साहन देने के लिये आधुनिक शिक्षा के साथ भारत की संपन्न विरासत एवं परम्पराओं का समेकन करने पर ज़ोर भी दिया ।


कर्नाटक सरकार में मत्स्य पालन, बंदरगाह तथा अंतर्देशीय परिवहन मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी, एनआईटी कर्नाटक-सुरथकल के बोर्ड ऑफ गवर्नर के अध्यक्ष प्रोफेसर के बालवीरा रेड्डी तथा एनआईटी कर्नाटक-सुरथकल के निदेशक उमा महेश्वर राव उन उच्चाधिकारियों में शामिल थे जो इस आयोजन के दौरान एनआईटी सुरथकल के छात्रों के साथ वहां उपस्थित थे ।