रिपोर्ट : अजीत कुमार
उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के तीसरें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर जेएनयू के कुलाधिपति एवं नीति आयोग के सदस्य डॉ. विजय कुमार सारस्वत, जेएनयू के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। 430 छात्रों को डॉ. ऑफ फिलॉस्फी (पीएचडी) की डिग्री प्रदान की गई।
नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में तीसरे वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारत को ज्ञान एवं नवाचार का एक प्रमुख केन्द्र बनाने के लिए शिक्षण से लेकर अनुसंधान तक की समूची शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव लाने का आह्वान किया। नायडू ने कहा कि भारत को एक समय 'विश्वगुरु' माना जाता था। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब भारत एक बार फिर अध्ययन के वैश्विक केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आए।
विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षण के तरीकों में पूरी तरह से बदलाव लाने का आग्रह करते हुए श्री नायडू ने इच्छा जताई कि जेएनयू के साथ-साथ भारत के अन्य विश्वविद्यालयों को भी स्वयं को शीर्ष रैंकिंग वाले वैश्विक संस्थानों में शुमार करने के लिए अथक प्रयास करने चाहिए। उपराष्ट्रपति का कहना था कि भारतीय सभ्यता ने हमेशा से समग्र एकीकृत शिक्षा की कल्पना की है। उन्होंने जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों से देश की ताकत एवं कौशल स्तर को बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि सर्वांगीण उत्कृष्टता और वैश्विक एजेंडे की अगुवाई करने की क्षमता हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों से विश्व के सर्वोत्तम संस्थानों से सीखने और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, 'एक सभ्यता के रूप में हम सबसे ग्रहणशील समाजों में से एक हैं जिसने विश्व भर के अच्छे विचारों का स्वागत किया है।'
भारत विकास के अनूठे पथ पर अग्रसर है, इस बात को रेखांकित करते हुए नायडू ने कहा कि इस प्रयास में योगदान करने के लिए विद्यार्थियों के पास 'अनंत अवसर' हैं।
इस अवसर पर केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने छात्रों के उत्कृष्ट प्रदर्शन और इस संस्थान को उच्च महत्व के संस्थान के स्तर तक ले जाने के लिए छात्रों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों की कल्पना की गई और भारत के युवाओं की शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इन्हें बढ़ावा दिया गया। हमें यह अवसर मिला है हम इस बात पर गर्व महसूस करें कि विश्वविद्यालय न केवल अपने उद्देश्य में सफल रहा है, बल्कि भारत में बुद्धिजीवियों का मार्ग प्रशस्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने आशा व्यक्त की कि व्यक्ति के विकास एवं परिचालन की दिशा में जेएनयू के शानदार प्रयास उपयोगी साबित होंगे और वर्तमान सरकार की नई नीतियों का पूरा लाभ उठाकर हम आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करेंगे ताकि अधिक से अधिक युवाओं को उच्च शिक्षा का लाभ मिले। उन्होंने दीक्षांत समारोह के लिए सभी अध्यापकों, छात्रों और अधिकारियों को बधाई दी।